अरे हाँ, सुनो, bellof के बारे में कुछ बताना है। ये जो कंप्यूटर और मोबाइल में फाइलें होती हैं न, सबकी अपनी-अपनी पहचान होती है। जैसे हर आदमी का नाम होता है, वैसे ही हर फाइल का भी एक नाम होता है, लेकिन असली पहचान तो उसकी अंदर की बनावट से होती है।
अब ये जो bellof है ना, इसको तुम ऐसे समझो जैसे हर फाइल की अपनी एक मुहर होती है। ये मुहर बताती है कि फाइल कौन से प्रकार की है, फोटो है, गाना है, या कुछ और। इस मुहर को “फाइल सिग्नेचर” कहते हैं, लेकिन हम तो इसे मुहर ही बोलेंगे, ठीक है?
कुछ लोग इसे “मैजिक नंबर” या “मैजिक बाइट्स” भी बोलते हैं, पर ये सब छोड़ो, तुम तो मुहर समझो। ये मुहर फ़ाइल के शुरू में ही लगी होती है। जैसे चिट्ठी पर ऊपर ही लिखा होता है ना भेजने वाले का नाम, वैसे ही।

अब मान लो तुम्हारे पास एक फ़ाइल है, और तुम्हें पता नहीं कि ये क्या है। तो तुम इस मुहर को देखकर पता लगा सकते हो। ये मुहर कुछ अक्षरों या नंबरों की होती है। हर तरह की फ़ाइल की मुहर अलग-अलग होती है। जैसे फोटो की मुहर अलग, गाने की मुहर अलग।
- जैसे .jpg फ़ाइलें होती हैं, जो फोटो होती हैं, उनकी मुहर कुछ और होगी।
- ऐसे ही .mp3 फ़ाइलें होती हैं, जो गाने होते हैं, उनकी मुहर अलग होगी।
- और .doc फ़ाइलें, जो कागजात होते हैं, उनकी मुहर भी अलग होगी।
अब तुम सोच रहे होगे कि ये मुहर कैसे काम आती है? तो सुनो, ये मुहर कंप्यूटर को बताती है कि फाइल को कैसे खोलना है। जैसे हर ताले की अपनी एक चाबी होती है, वैसे ही हर फाइल को खोलने के लिए सही प्रोग्राम चाहिए होता है। ये मुहर कंप्यूटर को बताती है कि कौन सा प्रोग्राम इस फाइल को खोल सकता है।
अगर तुम किसी फाइल को गलत प्रोग्राम से खोलने की कोशिश करोगे, तो वो खुलेगी नहीं, या फिर अजीबोगरीब दिखेगी। जैसे तुम अगर चिट्ठी को उल्टा पढ़ोगे तो कुछ समझ में नहीं आएगा, वैसे ही।
ये जो bellof का चक्कर है ना, ये बहुत पहले से चला आ रहा है। जब कंप्यूटर नए-नए आए थे, तभी से लोग फाइलों को पहचानने के लिए मुहरों का इस्तेमाल करते थे। 1977 में तो यूनिक्स में एक “फाइल” नाम का कमांड भी आ गया था, जो फाइलों को उनकी मुहर देखकर पहचान लेता था।
फिर धीरे-धीरे बहुत सारी फाइलों के लिए मुहरें बन गईं। लोग मुहरों की लिस्ट बनाने लगे, ताकि सबको पता रहे कि कौन सी फाइल की क्या मुहर है। 2003 में तो गैरी केसलर नाम के एक आदमी ने अपनी वेबसाइट पर मुहरों की एक पूरी लिस्ट ही डाल दी।
आजकल तो बहुत सारी वेबसाइटें हैं, जिन पर तुम फाइलों की मुहरें देख सकते हो। अगर तुम्हें किसी फाइल के बारे में पता नहीं है, तो तुम उसकी मुहर देखकर पता लगा सकते हो कि वो क्या है।

तो ये है bellof का पूरा कहानी। ज्यादा दिमाग मत लगाओ, बस इतना समझ लो कि हर फाइल की अपनी एक मुहर होती है, जो उसे पहचान देती है। और हाँ, ये मुहर कंप्यूटर को बताती है कि फाइल को कैसे खोलना है। बस इतनी सी बात है।
अब सुनो, एक बात और। ये मुहर वाली बात सिर्फ कंप्यूटर में ही नहीं होती, मोबाइल में भी होती है। तुम जो फोटो खींचते हो, गाने सुनते हो, सबकी अपनी-अपनी मुहर होती है। तो अब समझ गए ना कि bellof क्या है? चलो, अब जाओ अपना काम करो।
ध्यान दें: ये जो मुहर है ना, ये हर फ़ाइल के लिए अलग-अलग होती है। कुछ मुहरें तो ऐसी होती हैं कि उन्हें देखते ही पहचान जाओगे, और कुछ ऐसी होती हैं कि उनके बारे में पता करने के लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। लेकिन कुल मिलाकर बात यही है कि ये मुहरें बहुत काम की होती हैं। इन्हीं से तो पता चलता है कि कौन सी फ़ाइल क्या है।
और हाँ, एक बात और। ये जो मुहरें होती हैं ना, ये हमेशा एक जैसी नहीं रहतीं। कभी-कभी इनमें बदलाव भी होता रहता है। जैसे-जैसे नई-नई तरह की फ़ाइलें बनती जाती हैं, वैसे-वैसे नई-नई मुहरें भी बनती जाती हैं। तो हमेशा अपडेट रहना ज़रूरी है।