अरे भैया, ये काली ड्रेस के बारे में आजकाल बड़ा हल्ला मच रहा है, ई का चक्कर है? हमने तो सुना है कि काली ड्रेस पहनना अच्छा नहीं होता, बड़े बूढ़ों से यही सुनते आए हैं। अब ये जो नई पीढ़ी है, उसको कौन समझाए।
काली ड्रेस, काली ड्रेस, चारों ओर काली ड्रेस। अरे, क्या हो गया है आजकल के लोगों को? काली ड्रेस तो शोक का प्रतीक होती है, दुख का प्रतीक होती है। फिर ये लोग इतना काली ड्रेस क्यों पहनते हैं?
हमने तो अपने जमाने में कभी काली ड्रेस नहीं पहनी। हमारी अम्मा कहती थी, “काली ड्रेस पहनने से नज़र लग जाती है, भूत प्रेत पीछे पड़ जाते हैं।” अब ये जो पढ़े लिखे लोग हैं, इन बातों को नहीं मानते। कहते हैं, “ये सब अंधविश्वास है।” अरे, हम तो कहते हैं, थोड़ा बहुत तो डर रखना चाहिए।

आजकल तो देखो, फिल्मों में, टीवी में, हर जगह काली ड्रेस ही काली ड्रेस। और तो और, शादी ब्याह में भी लोग काली ड्रेस पहनने लगे हैं। अरे, शादी ब्याह तो खुशी का मौका होता है, उसमें तो रंग बिरंगे कपड़े पहनने चाहिए। लाल, पीला, हरा, नीला, गुलाबी, कितने सुंदर सुंदर रंग हैं। लेकिन नहीं, इनको तो काली ड्रेस ही अच्छी लगती है।
काली ड्रेस, अशुभ या फैशन? ये सवाल आजकल सबके मन में है। कुछ लोग कहते हैं कि काली ड्रेस पहनने से तरक्की रुक जाती है, काम धंधे में बाधा आती है। कुछ लोग कहते हैं कि ये सब बेकार की बातें हैं, काली ड्रेस तो आजकल का फैशन है।
- काली ड्रेस, शोक का प्रतीक
- काली ड्रेस, बुरी नजर
- काली ड्रेस, फैशन
- काली ड्रेस, शादी ब्याह
अब ये जो सोशल मीडिया है, इस पर भी काली ड्रेस को लेकर खूब बहस होती है। कोई कहता है, काली ड्रेस अच्छी है, कोई कहता है, काली ड्रेस बुरी है। अरे, हम तो कहते हैं, जिसको जो अच्छा लगे, वो पहने। हमें क्या लेना देना।
लेकिन एक बात तो है, काली ड्रेस पहनने से पहले एक बार सोच जरूर लेना चाहिए। कहीं ऐसा ना हो कि बाद में पछताना पड़े। हमारे यहां तो कहते हैं, “काल का साया, बुरा साया।” अब मानना ना मानना, आपकी मर्जी।
हमने सुना है कि बड़े बड़े अफसर लोग भी काली ड्रेस पहन कर जाते हैं कहीं कहीं, अदालत वगैरा में। अब पता नहीं, ये क्या रीति रिवाज है। हमारे गांव में तो ऐसा कुछ नहीं होता। वहां तो सब अपने अपने हिसाब से कपड़े पहनते हैं। कोई धोती कुर्ता पहनता है, कोई लुंगी पहनता है, कोई शेरवानी पहनता है।
हमारे यहां तो काली मां की पूजा होती है। काली मां तो सबकी रक्षा करती हैं। दुख दर्द दूर करती हैं। तो फिर काली ड्रेस से इतना डर क्यों? ये बात हमारी समझ में नहीं आती।

और ये जो आजकल के लड़के लड़कियां हैं, इनको तो बस फैशन की पड़ी है। इनको ये नहीं पता कि क्या अच्छा है, क्या बुरा है। बस जो नया चल रहा है, वही करना है। चाहे वो अच्छा हो या बुरा।
अब ये जो सूट बूट पहनने वाले लोग हैं, ये भी काली ड्रेस खूब पहनते हैं। कहते हैं, इससे “इमेज” अच्छी बनती है। अब ये इमेज क्या होती है, ये तो हमें नहीं पता। हमारे गांव में तो ऐसी कोई इमेज विमेज नहीं होती। वहां तो सब एक जैसे ही हैं।
अब ये जो काले रंग के कपड़े हैं, इनके बारे में अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय है। कोई कहता है, ये अच्छे हैं, कोई कहता है, ये बुरे हैं। अब हम जैसे कम पढ़े लिखे लोग क्या समझें इन बातों को।
हमने तो बस इतना ही कहना है कि कपड़े वही पहनने चाहिए जो मन को अच्छे लगें और जिनमें आप सहज महसूस करें। चाहे वो काले हों या रंग बिरंगे। बाकी आपकी मर्जी।
लेकिन एक बात याद रखना, ज्यादा इतराना भी अच्छा नहीं होता। भगवान से डरते रहना चाहिए। और बड़े बूढ़ों की बात भी मान लेनी चाहिए। क्या पता, कब किस बात से क्या हो जाए।