अरे, आज तो मैं बात करुंगी ड्रेस के बारे में। मतलब ड्रेस के लिए फीडबैक, समझी ना? हाँ, वही, जो तुम पहनती हो, उसके बारे में लोगों का क्या कहना है।
अब देखो, ये जो दुनिया है ना, इसमें सब एक जैसा नहीं होता। किसी को कुछ पसंद आता है, किसी को कुछ। तो जब तुम कोई ड्रेस पहनो, तो ज़रूरी नहीं कि सबको अच्छी लगे। पर हाँ, फीडबैक सुनना ज़रूरी है। उससे पता चलता है कि क्या अच्छा लग रहा है, क्या नहीं।
- अगर कोई कहे, “ये ड्रेस तुम पे जंच रही है,” तो खुश हो जाओ। मतलब तुमने सही चीज़ पहनी है।
- और अगर कोई कहे, “ये रंग तुम पे खिल नहीं रहा,” तो बुरा मत मानो। बस अगली बार ध्यान रखो।
अब ये फीडबैक वाली बात, खाली ड्रेस के लिए नहीं है। तुम कुछ भी करो, लोगों का सुनना ज़रूरी है। मान लो, तुमने खाना बनाया। अब घर वालों को पसंद आया, तो मतलब अच्छा बना है। और अगर किसी ने कहा, “नमक कम है,” तो अगली बार थोड़ा ज़्यादा डाल देना।

हाँ, तो मैं कह रही थी कि ड्रेस के बारे में फीडबैक लेना ज़रूरी है। अब ये नहीं कि हर किसी की बात मान लो। कुछ लोग तो बस ऐसे ही बोल देते हैं। पर जो तुम्हारे अपने हैं, जो तुम्हें समझते हैं, उनकी बात सुनो।
और हाँ, खाली दूसरों का सुनना ही नहीं, खुद को भी देखना है। आईने में देखो, खुद से पूछो, “क्या मैं इसमें अच्छी लग रही हूँ?” अगर दिल से आवाज़ आए “हाँ,” तो बस फिर ठीक है।
देखो, ड्रेस पहनना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। बस वही पहनो जिसमें तुम आराम से रह सको। जिसमें तुम्हें अच्छा लगे। और हाँ, थोड़ा बहुत दूसरों का भी सुन लो। क्या पता, कोई अच्छी सलाह दे दे।
और ये जो फीडबैक है, ये खाली ड्रेस के लिए ही नहीं है। ज़िंदगी में हर चीज़ के लिए ज़रूरी है। तुमने कुछ काम किया, उसके बारे में लोगों ने क्या कहा, ये सुनना ज़रूरी है। उससे तुम्हें पता चलेगा कि तुम सही कर रही हो या नहीं।
जैसे मान लो, तुमने कोई दुकान खोली। अब ग्राहकों का फीडबैक ज़रूरी है। क्या अच्छा लग रहा है, क्या नहीं, क्या सुधार करना है, ये सब पता चलेगा। तभी तो दुकान चलेगी ना।
अब मान लो, किसी ने तुमसे कहा कि तुम्हारी ड्रेस अच्छी नहीं लग रही। तो ये मत सोचो कि वो तुम्हारी बुराई कर रहा है। हो सकता है, वो सच कह रहा हो। तो उसकी बात सुनो, समझो, और फिर देखो कि क्या करना है।

और हाँ, खाली बुरा फीडबैक ही नहीं, अच्छा फीडबैक भी ज़रूरी है। अगर कोई तुम्हारी तारीफ़ करे, तो उसे सुनो। उससे तुम्हें पता चलेगा कि तुम क्या अच्छा कर रही हो।
अब जैसे मान लो, तुमने कोई नयी साड़ी पहनी। और सबने कहा, “वाह, क्या बात है! बहुत सुंदर लग रही हो।” तो मतलब तुमने सही चीज़ पहनी है।
तो बस यही कहना था मुझे। फीडबैक ज़रूरी है, चाहे वो ड्रेस के लिए हो या ज़िंदगी के किसी भी काम के लिए। और हाँ, दूसरों का सुनो, पर खुद की भी सुनो।
अब ये नहीं कि हर किसी की बात मान लो। कुछ लोग तो बस ऐसे ही बोल देते हैं। पर जो तुम्हारे अपने हैं, जो तुम्हें समझते हैं, उनकी बात सुनो।
और हाँ, खाली दूसरों का सुनना ही नहीं, खुद को भी देखना है। आईने में देखो, खुद से पूछो, “क्या मैं इसमें अच्छी लग रही हूँ?” अगर दिल से आवाज़ आए “हाँ,” तो बस फिर ठीक है।
देखो, ड्रेस पहनना कोई रॉकेट साइंस नहीं है। बस वही पहनो जिसमें तुम आराम से रह सको। जिसमें तुम्हें अच्छा लगे। और हाँ, थोड़ा बहुत दूसरों का भी सुन लो। क्या पता, कोई अच्छी सलाह दे दे।

ड्रेस ऐसी पहनो जिससे मनोबल बड़े, कॉन्फिडेंस आये। अब डेट पर जा रही हो तो ऐसी ड्रेस पहनो जिसमें तुम खुद को अच्छा महसूस करो। दिखावे के चक्कर में मत पड़ो।
तो बस यही कहना था मुझे। फीडबैक ज़रूरी है, चाहे वो ड्रेस के लिए हो या ज़िंदगी के किसी भी काम के लिए। और हाँ, दूसरों का सुनो, पर खुद की भी सुनो। और हमेशा याद रखो, तुम जैसी भी हो, अच्छी हो। बस खुश रहो और दूसरों को भी खुश रखो।