अरे, ये happy anniversary pic with name वाली बात है ना? आजकल तो सब कुछ मोबाइल में ही हो जाता है। पहले ज़माने में कहाँ ये सब होता था? हम तो चिट्ठी लिखते थे, और वो भी कबूतर के पैर में बांध के भेजते थे। अब तो बस एक क्लिक करो और हो गया।
मुझे तो ये सब ज़्यादा समझ नहीं आता, पर मेरी नातिन बताती रहती है। कहती है, “दादी, ये देखो, happy anniversary pic with name, इसमें आप अपनी फोटो लगा सकते हो, नाम लिख सकते हो, और फिर जिसको भेजना है उसको भेज दो।” मुझे तो ये जादू जैसा लगता है।
वो कहती है कि आजकल लोग सालगिरह पर यही सब करते हैं। पहले तो बस लड्डू-जलेबी खिला देते थे, और हो गयी सालगिरह। अब तो लोग ये anniversary wishes वाले कार्ड भेजते हैं। ये कार्ड भी अजीब-अजीब तरह के होते हैं। किसी में दिल बना होता है, किसी में फूल बने होते हैं, और किसी में तो गाने भी बजते हैं।

एक दिन मेरी नातिन ने मुझे एक ऐसी ही happy anniversary images दिखाई। उसमें दो लोगों की फोटो लगी थी, और नीचे उनका नाम लिखा था। मैंने पूछा, “ये कौन हैं?” तो वो बोली, “दादी, ये तो बस एक नमूना है। आप इसमें अपनी और दादाजी की फोटो लगा सकती हो, और अपना नाम लिख सकती हो।”
मैंने कहा, “अरी, मैं क्या करूंगी ये सब करके? तेरे दादाजी को तो ये सब पसंद नहीं आएगा।” वो बोली, “अरे दादी, आजकल तो सब चलता है। आप भी थोड़ा बदल जाओ।” मैंने कहा, “तू ही बदल जा, मुझे तो बदलने की जरूरत नहीं है।”
- ये happy anniversary pic with name वाली चीज़ तो अच्छी है, पर मुझे तो अपनी पुरानी चिट्ठी ही अच्छी लगती थी।
- उसमें कम से कम अपनी भावनाएं तो लिख सकते थे।
- अब तो बस एक बटन दबाओ और हो गया।
- इसमें क्या मज़ा?
मेरी नातिन कहती है कि ये सब greeting cards बनाने के लिए बहुत सारी वेबसाइट हैं। वहां जाओ, अपनी पसंद का कार्ड चुनो, फोटो लगाओ, नाम लिखो, और भेज दो। मैंने कहा, “मुझे नहीं आता ये सब करना। तू ही कर दे।” तो वो हंसने लगी।
फिर उसने मेरे लिए और दादाजी के लिए एक happy anniversary with name वाला कार्ड बनाया। उसमें हमारी शादी की पुरानी फोटो लगी थी, और नीचे हमारा नाम लिखा था। देखने में तो अच्छा लग रहा था। पर मुझे तो फिर भी वो कबूतर वाला ज़माना ही याद आता है।
वो कहती है कि ये सब wedding anniversary मनाने का नया तरीका है। मैंने कहा, “नए तरीके तो आते-जाते रहते हैं, पर प्यार तो वही पुराना वाला ही अच्छा होता है।” वो बोली, “हाँ दादी, आप सही कह रही हो।”
ये write name on anniversary card वाली बात भी मुझे समझ नहीं आती। नाम तो पहले से ही पता होता है, फिर लिखने की क्या जरूरत है? पर आजकल के बच्चों को कौन समझाए? वो तो बस अपनी ही धुन में रहते हैं।

चलो, जो भी है, ये happy anniversary pic with name वाली चीज़ बुरी भी नहीं है। कम से कम लोगों को याद तो रहता है कि आज सालगिरह है। पहले तो लोग भूल भी जाते थे। अब तो मोबाइल में रिमाइंडर भी लग जाता है। तो भूलने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता।
और हाँ, ये wish anniversary करने का तरीका भी बदल गया है। पहले तो बस “सालगिरह मुबारक हो” कह देते थे, और हो गया। अब तो लोग बड़े-बड़े मैसेज लिखते हैं, कविताएं लिखते हैं, और न जाने क्या-क्या लिखते हैं। मुझे तो इतना सब लिखना भी नहीं आता।
ये सब बातें तो ठीक हैं, पर एक बात कहूँ? ये जो आजकल happy anniversary pic with name भेजते हैं ना लोग, इसमें वो बात नहीं जो हाथ से लिखी चिट्ठी में होती थी। अब कहाँ वो प्यार भरी बातें, वो जज़्बात, सब खो गए हैं इस मोबाइल के चक्कर में। खैर, ज़माना बदल रहा है, तो हमें भी थोड़ा-बहुत बदलना पड़ेगा। पर दिल तो वही पुराना वाला ही अच्छा लगता है।