अरे, तुम सब कैसे हो? आज मैं तुम्हें बताने वाली हूं बास्केटबॉल के बारे में कुछ मजेदार बातें। ये खेल तो तुमने देखा ही होगा, बड़ा ही जोरदार होता है।
बास्केटबॉल का खेल
बास्केटबॉल, हां वही जिसमें वो ऊंची-ऊंची टोकरी में गेंद डालते हैं। ये खेल बड़ा पुराना है, पहले लोग जानते भी नहीं थे इसके बारे में। अब तो हर जगह खेलते हैं, बच्चे, बूढ़े सब खेलते हैं। पांच-पांच जने खेलते हैं, दो टोली होती है। एक टोली इधर, एक टोली उधर। और हां, ये जो टोकरी होती है, वो 10 फुट ऊंची होती है, समझ गए?
और सुनो, ये खेल पहले ऐसे नहीं था। पहले तो एक टोकरी होती थी, फल वाली, बस उसी में गेंद डालते थे। और जब गेंद अंदर जाती थी, तो किसी को ऊपर चढ़कर निकालनी पड़ती थी। अब तो नीचे से खुली होती है, गेंद डालो और नीचे से निकल जाती है।

बास्केटबॉल कैसे खेलते हैं?
- पांच-पांच जने खेलते हैं, दो टोली में।
- एक बड़ी सी गेंद होती है, उसी को टोकरी में डालना होता है।
- जो टोली ज्यादा गेंद डाले, वो जीत जाती है।
- एक खेल में चार हिस्से होते हैं, दस-दस मिनट के।
पहले तो ये खेल बस कुछ ही जगह खेलते थे, कलकत्ता में भी खेला गया था एक बार, 1987 में। तब से तो ये खेल खूब फैल गया। अब तो सारी दुनिया में खेलते हैं। ओलंपिक में भी खेलते हैं, तुमने देखा होगा टीवी पे।
बास्केटबॉल इतना मशहूर क्यों है?
पता है, ये खेल इतना मशहूर क्यों है? क्योंकि ये खेल है ही इतना मजेदार। भागते-दौड़ते रहते हैं, गेंद को इधर से उधर, उधर से इधर। और फिर टोकरी में डालो तो सब चिल्लाते हैं, हुर्रे, हुर्रे। और इसमें ज्यादा कुछ चाहिए भी नहीं, बस एक गेंद और एक टोकरी। कहीं भी खेल लो, मैदान में, घर के बाहर, कहीं भी।
पहले तो लोग इतना जानते नहीं थे इस खेल के बारे में, पर धीरे-धीरे सबको पता चल गया। अब तो देखो, गली-गली में बच्चे खेलते रहते हैं। और बड़े लोग भी खेलते हैं, अपना शरीर ठीक रखने के लिए।
बास्केटबॉल और क्या-क्या?
ये जो बास्केटबॉल का खेल है, इससे शरीर भी ठीक रहता है। दौड़ते-भागते हैं तो ताकत बनी रहती है। और दिमाग भी तेज होता है, क्योंकि सोचना पड़ता है कि गेंद कैसे डालें, किसको दें, कैसे टोकरी तक पहुंचाएं।
और सुनो, ये खेल सिर्फ खेलने के लिए ही नहीं है, देखने में भी बड़ा मजा आता है। जब बड़े-बड़े खिलाड़ी खेलते हैं, तो देखने में लगता है कि अरे वाह, क्या खेल रहे हैं! एकदम जादू जैसा।
तो ये थी बास्केटबॉल की कुछ बातें, जो मुझे पता थीं। तुम भी खेलो, देखो और मजे करो। ये खेल है ही इतना बढ़िया, कि सबका मन लग जाता है। बस, खेलते रहो, खुश रहो।

अच्छा, अब मैं चलती हूं, फिर मिलेंगे। अपना ध्यान रखना और बास्केटबॉल जरूर खेलना। ठीक है? चलो, नमस्ते!