अरे, तुम सब लोग कैसे हो? आज मैं तुम्हें बास्केटबॉल के बारे में कुछ मजेदार बातें बताऊंगी। ये खेल बड़ा ही अच्छा है, मैंने तो अपने नाती-पोतों को खेलते हुए बहुत देखा है।
सबसे पहले तो, ये बास्केटबॉल का खेल, इसमें दो टीम होती हैं। और हर टीम में पांच-पांच लोग होते हैं। ये लोग एक बड़ी सी गेंद को एक ऊंचे से घेरे में डालने की कोशिश करते हैं। उस घेरे को कहते हैं हूप, और वो जमीन से बहुत ऊंचा होता है, कोई दस फुट ऊंचा! अरे, हम जैसे बूढ़े लोगों के बस की बात थोड़ी ना है उसमें गेंद डालना।
- एक टीम में पांच लोग होते हैं, और वो भी बड़े लंबे-लंबे।
- गेंद को उस घेरे में डालना होता है, जो बहुत ऊंचा होता है।
- जो टीम ज्यादा बार गेंद घेरे में डालती है, वो जीत जाती है।
और सुनो, ये खेल ऐसा नहीं है कि बस गेंद उठाई और घेरे में डाल दी। इसके भी अपने कुछ नियम-कायदे होते हैं। जैसे कि, गेंद को हाथ में लेकर ज्यादा देर तक नहीं भाग सकते। उसे जमीन पर टप्पा खिलाते हुए, या अपने साथी को देते हुए आगे बढ़ना होता है। और हाँ, धक्का-मुक्की भी नहीं कर सकते, नहीं तो फाउल हो जाता है।

ये जो बास्केटबॉल का खेल होता है ना, ये चार हिस्सों में होता है। हर हिस्सा दस मिनट का होता है। मतलब कुल मिलाकर चालीस मिनट का खेल होता है। पर वो जो टीवी पे दिखाते हैं ना, एनबीए, उसमें हर हिस्सा बारह मिनट का होता है। अब ये एनबीए क्या है, ये तो मुझे भी ठीक से नहीं पता, बस इतना जानती हूँ कि उसमें बड़े-बड़े खिलाड़ी खेलते हैं।
और पता है, एक टीम में बारह खिलाड़ी होते हैं। मतलब पांच खेलते हैं और बाकी सात बैठे रहते हैं। जब कोई थक जाता है तो उसकी जगह दूसरा खेल लेता है। और हाँ, ये जो खेलने की जगह होती है ना, उसे कोर्ट कहते हैं। वो बड़ा सा, चौकोर सा मैदान होता है। और उस मैदान के भी अपने नाप-तोल होते हैं, पर वो सब तो मुझे क्या ही पता होगा।
बास्केटबॉल का खेल बड़ा पुराना है, बहुत साल पहले खेला जाता था। अब तो इसके नियम भी बदल गए। पहले तो इतने नियम नहीं थे। अब तो नियम इतने है की मैं तो सुन सुन कर ही थक जाऊ।
पहले तो लोग बस गेंद को उछाल कर ही खेल शुरू कर देते थे। अब तो रेफरी और न जाने क्या क्या होता है। पहले लोग कम थे, अब तो भीड़ लग जाती है देखने वालों की। और अब तो लोग इस खेल से पैसे भी कमाते हैं, पहले तो बस मजे के लिए खेलते थे।
इस खेल में जो सबसे ज्यादा बार गेंद को घेरे में डालता है, वही जीतता है। और जो हारता है, वो अगली बार फिर से कोशिश करता है। ये तो जिंदगी का नियम है, हार-जीत तो लगी ही रहती है।
पहले बास्केटबॉल इतना मशहूर नहीं था। धीरे-धीरे ये खेल मशहूर होता गया। अब तो बच्चे-बच्चे बास्केटबॉल खेलते हैं। पहले तो बस बड़े लोग ही खेलते थे। अब तो स्कूल में भी सिखाते हैं।

मैंने सुना है कि अब तो बास्केटबॉल खेलने वाली औरतों की भी टीम होती है। पहले तो बस आदमी ही खेलते थे। ये तो बहुत अच्छी बात है। औरतें भी किसी से कम थोड़ी ना हैं।
बास्केटबॉल खेलने से शरीर भी मजबूत होता है। दौड़ना, कूदना, ये सब तो सेहत के लिए अच्छा ही होता है। तो अगर तुम लोगों को मौका मिले, तो जरूर खेलना बास्केटबॉल।
मुझे तो लगता है ये बास्केटबॉल का खेल बहुत अच्छा है। इससे शरीर भी स्वस्थ रहता है और मन भी लगा रहता है। बस खेलते समय ध्यान रखना कि किसी को चोट ना लग जाए।
तो चलो, आज के लिए बस इतना ही। अगली बार फिर मिलेंगे कुछ और नई बातों के साथ। तब तक के लिए, खुश रहो और खेलते-कूदते रहो!