अरे, आज मैं तुम लोगों को फुटबॉल के बारे में कुछ बताती हूँ, वो जो गोल-गोल घुमा के खेलते हैं ना, वही वाला। आजकल टीवी पे खूब दिखाते हैं, हमारे गाँव के लड़के भी खेलते हैं, बड़ा मज़ा आता है देखने में। तो आज मैं बताऊंगी की फुटबॉल में वो “डेड लेग मूव” (dead leg move) क्या होता है, हाँ वही, पैर सुन्न हो जाने वाला।
अब देखो, फुटबॉल (football) में क्या होता है, दो टीम होती है, ग्यारह-ग्यारह लोग होते हैं हर टीम में। सब लोग एक गेंद के पीछे भागते रहते हैं। एक गोल इधर होता है, एक गोल उधर। उसी में गेंद डालनी होती है। जो ज्यादा गोल कर दे, वो जीत जाता है। सिंपल है ना? पर इतना भी आसान नहीं है, बड़ा दम लगता है इसमें।
अब ये जो डेड लेग (dead leg) वाली बात है, ये तब होता है जब कोई खिलाड़ी दूसरे खिलाड़ी को जानबूझ के टांग मार दे, या फिर घुटना मार दे, जांघ पे। समझे? मतलब, चोट पहुँचाने के लिए। तो जिसको चोट लगती है ना, उसका पैर एकदम सुन्न हो जाता है, दर्द से बुरा हाल हो जाता है। चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। इसी को कहते हैं, डेड लेग (dead leg)।

अब ये जो डेड लेग मूव (dead leg move) है, ये खेल का हिस्सा तो नहीं है, मतलब, ये गलत बात है, ऐसा नहीं करना चाहिए। लेकिन कभी-कभी हो जाता है, गुस्से में, या फिर गलती से। लेकिन ये गलत ही होता है, और जो ऐसा करता है उसको रेफरी सज़ा भी देता है, कभी-कभी लाल कार्ड भी दिखा देता है, मतलब खेल से बाहर।
फुटबॉल (football) का खेल तो वैसे बड़ा अच्छा है, बहुत मज़ा आता है देखने में। सब लोग दौड़ते रहते हैं, गेंद को इधर-उधर मारते रहते हैं। अब देखो, इस खेल में ग्यारह खिलाड़ी (11 players) होते हैं, तो सबका अपना-अपना काम होता है। कोई गेंद रोकता है, कोई गोल करता है, कोई बीच में खेलता है। है ना मजेदार?
- एक होता है गोलकीपर, जो गोल बचाता है।
- कुछ होते हैं डिफेंडर, जो எதிரி टीम को गोल करने से रोकते हैं।
- कुछ होते हैं मिडफील्डर, जो बीच में खेलते हैं, गेंद को इधर-उधर पास करते हैं।
- और कुछ होते हैं फॉरवर्ड, जो गोल करने की कोशिश करते हैं।
अब ये जो फॉरवर्ड (forward) होते हैं ना, ये बड़े तेज़-तर्रार होते हैं, एकदम चीते की तरह। इनको ही सबसे ज्यादा भागना पड़ता है। और ये जो डिफेंडर (defender) होते हैं, ये भी बड़े मजबूत होते हैं, इनको எதிரி टीम के खिलाड़ियों को रोकना होता है।
अब फुटबॉल (football) के नियम (rules) भी बड़े सख्त होते हैं। हाथ से गेंद नहीं छू सकते, बस गोलकीपर ही छू सकता है। और किसी को धक्का नहीं मार सकते, लात नहीं मार सकते। अगर ऐसा करोगे तो फाउल (foul) हो जाएगा। और रेफरी सीटी बजा देगा।
तो ये जो डेड लेग (dead leg) वाली बात है, ये फाउल (foul) ही है। अगर कोई जानबूझ के किसी को चोट पहुंचाएगा, तो रेफरी उसको ज़रूर सज़ा देगा। ये खेल है, खेल को खेल की तरह ही खेलना चाहिए। लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए।
अब देखो, हमारे गाँव में भी फुटबॉल (football) का बड़ा क्रेज़ है। शाम को सब लड़के मैदान में इकट्ठा हो जाते हैं, और फिर शुरू हो जाता है खेल। बड़ा शोर मचता है, बड़ा मज़ा आता है। हम लोग भी देखते हैं, तालियां बजाते हैं।

तो ये थी फुटबॉल (football) और डेड लेग (dead leg) की कहानी। मुझे उम्मीद है कि तुम लोगों को समझ में आ गया होगा। अगर कुछ और जानना है, तो पूछ लेना, मैं बता दूंगी। ये खेल बहुत पुराना है, पहले ज़माने में भी लोग खेलते थे, बस तब नियम (rules) कुछ और होंगे।
और हाँ, ये जो खेल है ना, इसमें बहुत ताकत लगती है, बहुत दौड़ना पड़ता है। तो जो खिलाड़ी होते हैं ना, वो लोग बहुत कसरत करते हैं, अपनी सेहत का बहुत ध्यान रखते हैं। अच्छा खाना खाते हैं, ताकि खेल में कोई दिक्कत ना हो। तो तुम लोग भी अगर फुटबॉल (football) खेलना चाहते हो तो अपनी सेहत का ध्यान रखना।