अरे, आज मैं तुम्हें बताने जा रही हूं बार्टलेट जियामाटी (a bartlett giamatti) के बारे में, जो बेसबॉल (baseball) के बारे में कहा करते थे। तुम लोग तो जानते ही हो, आजकल खेल-कूद का कितना बोलबाला है! क्रिकेट (cricket), फुटबॉल (football), टेनिस (tennis), क्या नहीं है। पहले तो हमारे जमाने में बस कबड्डी (kabaddi), खो-खो (kho-kho) यही सब हुआ करता था। अब तो ये अंग्रेजी खेल भी आ गए हैं।
ये बार्टलेट जियामाटी (a bartlett giamatti) जो थे, बड़े आदमी थे। बेसबॉल (baseball) के बारे में बड़ी-बड़ी बातें करते थे। कहते थे कि बेसबॉल (baseball) दिल तोड़ देता है। ये तो सही बात है, खेल में हार-जीत तो लगी रहती है। कभी खुशी, कभी गम! जैसे हमारे यहां क्रिकेट (cricket) है ना, वैसे अमेरिका में बेसबॉल (baseball) है। लोग पागल हैं उसके लिए।
अब देखो, खेल से फायदा भी बहुत है। शरीर चुस्त-दुरुस्त रहता है। जो कबड्डी (kabaddi) खेलते हैं, कुश्ती (kushti) लड़ते हैं, देखो उनकी सेहत! एकदम तंदरुस्त! और आजकल तो ये जिम-विम भी खुल गए हैं, वहां भी लोग खूब कसरत करते हैं।

- क्रिकेट (cricket): ये तो आजकल सबसे ज्यादा चल रहा है।
- फुटबॉल (football): ये भी बहुत लोग खेलते हैं।
- टेनिस (tennis): इसमें एक जाल के ऊपर से गेंद मारनी होती है।
- कबड्डी (kabaddi): ये तो हमारा पुराना खेल है, इसमें दम लगाना पड़ता है।
- खो-खो (kho-kho): इसमें भी भाग-दौड़ बहुत होती है।
खेल से मन भी खुश रहता है। हारो या जीतो, कुछ न कुछ सीखने को मिलता ही है। और टीम के साथ खेलो तो एकता (unity) भी बढ़ती है। एक दूसरे का साथ देना, एक दूसरे की मदद करना, ये सब खेल से ही तो सीखते हैं।
लेकिन, कुछ खेल खतरनाक भी होते हैं। जैसे, आजकल वो मोटरसाइकिल (motorcycle) की रेस (race) होती है, उसमें बहुत चोट लगती है। कई लोग तो जान से भी हाथ धो बैठते हैं। इसलिए, खेलना अच्छी बात है, लेकिन सावधानी (carefulness) से खेलना चाहिए।
हमारे यहां तो क्रिकेट (cricket) का बुखार है सबको। गली-गली में बच्चे क्रिकेट (cricket) खेलते रहते हैं। और जब भारत (India) का मैच (match) हो, तब तो पूछो ही मत! सब काम-धाम छोड़कर टीवी (TV) के सामने बैठ जाते हैं।
अब देखो, ये जो बार्टलेट जियामाटी (a bartlett giamatti) थे, वो कहते थे कि खेल जीवन (life) का आइना (mirror) है। इसमें सब दिखता है – खुशी, गम, जीत, हार, दोस्ती, दुश्मनी। सब कुछ! और ये बात तो सच है। खेल में जो होता है, वही तो जीवन (life) में भी होता है।
पहले तो खेल बस मनोरंजन (entertainment) के लिए होते थे। लेकिन, आजकल तो खेल में पैसा (money) भी बहुत है। जो अच्छा खेलता है, वो खूब कमाता भी है। बड़े-बड़े खिलाड़ी (players) करोड़ों रुपये कमाते हैं।
हमारे जमाने में तो ऐसा नहीं था। हम तो बस मजे के लिए खेलते थे। पैसे (money) का तो कोई चक्कर ही नहीं था। अब तो खेल भी एक व्यवसाय (business) बन गया है।

खैर, जो भी है, खेल खेलना अच्छी बात है। इससे शरीर (body) भी स्वस्थ (healthy) रहता है और मन (mind) भी खुश (happy) रहता है। तो, तुम लोग भी खूब खेलो, कूदो और मस्त रहो! बस, ये याद रखना कि खेल को खेल की तरह ही खेलना, दिल (heart) पे मत लेना। और हां, बार्टलेट जियामाटी (a bartlett giamatti) की बात भी याद रखना, वो बड़े समझदार आदमी थे।
आजकल तो टीवी (TV) पे भी कितने सारे खेल आते हैं। पहले तो सिर्फ दूरदर्शन (Doordarshan) था, अब तो इतने सारे चैनल (channel) आ गए हैं। हर चैनल (channel) पे कोई न कोई खेल चलता ही रहता है। क्रिकेट (cricket), फुटबॉल (football), हॉकी (hockey), टेनिस (tennis), क्या नहीं आता! और अब तो वो मोबाइल (mobile) पे भी खेल देख सकते हैं। ज़माना बदल गया है भाई!
हमारे गाँव में भी अब बच्चे क्रिकेट (cricket) खेलने लगे हैं। पहले तो बस गिल्ली-डंडा (gilli-danda) खेलते थे। लेकिन, अब तो सबके हाथ में बल्ला (bat) और गेंद (ball) है। देख के अच्छा लगता है। खेल से बच्चों का विकास (development) भी होता है।
लेकिन, एक बात और है। आजकल के बच्चे खेल-कूद में कम और मोबाइल (mobile) में ज्यादा लगे रहते हैं। ये ठीक बात नहीं है। मोबाइल (mobile) से आंखें (eyes) खराब होती हैं। और, शरीर (body) भी कमजोर (weak) हो जाता है। इसलिए, बच्चों को बाहर (outside) निकलकर खेलना चाहिए। धूप (sunlight) में खेलना चाहिए। इससे हड्डियां (bones) मजबूत (strong) होती हैं।
तो, यही सब बातें हैं खेल के बारे में। मैंने तो जो भी जानती थी, सब बता दिया। अब तुम लोग भी खेलो, कूदो और मौज करो! और हां, बार्टलेट जियामाटी (a bartlett giamatti) की बात याद रखना, खेल जीवन (life) का आइना (mirror) है!