अरे भाई, आज कल तो कान की मशीन का बड़ा हल्ला है। मैं बताती हूँ तुम्हें, starkey hearing aid price in india, समझे? ये स्टार्की क्या है, कान में लगाने वाली मशीन। मेरे तो कान ठीक हैं, भगवान का शुक्र है, पर मेरे पड़ोस वाली रामप्यारी के कान में दिक्कत है। वो बेचारी कम सुनती है, तो डॉक्टर ने उसको ये स्टार्की वाली मशीन बताई।
अब ये मशीन भी कई तरह की होती है, एक तो वो जो कान के पीछे लगती है, और एक जो कान के अंदर ही फिट हो जाती है। रामप्यारी बता रही थी कि एक छोटी सी मशीन कान के अंदर लग जाती है, दिखती भी नहीं है। अब दाम का क्या है, दाम तो भैया अलग-अलग हैं। कोई सस्ती है, कोई महंगी है। अब जो कान के अंदर वाली है, वो थोड़ी महंगी है, कान के पीछे वाली थोड़ी सस्ती है।
- स्टार्की कान की मशीन, कई तरह की।
- कुछ कान के पीछे लगती है, कुछ अंदर।
- दाम भी अलग-अलग, सस्ती भी, महंगी भी।
अब ये starkey hearing aid, ये बड़े काम की चीज़ है। रामप्यारी कह रही थी कि जब से उसने ये मशीन लगाई है, उसको सब साफ़-साफ़ सुनाई देता है। पहले बेचारी को बड़ी दिक्कत होती थी, बार-बार पूछती थी, “क्या कहा, क्या कहा?” अब तो सब बढ़िया से सुन लेती है। टीवी भी आराम से देखती है, लोगों से बातें भी कर लेती है।

अब ये मशीन मिलती कहाँ है? अरे, आजकल तो हर जगह मिलती है। बड़े-बड़े शहरों में तो दुकानें हैं, जहाँ ये सब मशीनें मिलती हैं। डॉक्टर भी बता देते हैं कि कहाँ से लेनी है। और आजकल तो वो क्या कहते हैं, हाँ, ऑनलाइन, हाँ, ऑनलाइन भी मिल जाती है। घर बैठे-बैठे मंगवा लो।
पर एक बात है, ये मशीन लेने से पहले डॉक्टर को ज़रूर दिखाना चाहिए। वो कान चेक करेंगे, फिर बताएंगे कि कौन सी मशीन ठीक रहेगी। अपने आप से नहीं लेनी चाहिए, नहीं तो कान को नुकसान भी हो सकता है।
और हाँ, ये मशीन बैटरी से चलती है। छोटी-छोटी बैटरी होती है, जो इसमें लगती है। रामप्यारी बता रही थी कि बैटरी भी बदलनी पड़ती है कुछ दिनों में। अब ये बैटरी भी अलग-अलग तरह की आती हैं, कोई 10 नंबर, कोई 13 नंबर, कोई 675, पता नहीं क्या-क्या नंबर बताती थी वो। अब ये सब तो दुकान वाला ही बताएगा कि कौन सी बैटरी लगेगी।
ये hearing aid price in india, ये भी कोई फिक्स नहीं है। दुकान-दुकान पर फर्क पड़ता है। कोई थोड़ी सस्ती बेचता है, कोई थोड़ी महंगी। तो भैया, घूम-फिर कर, पूछ-पाछ कर लेनी चाहिए। और हाँ, एक वो टोल-फ्री नंबर भी होता है, 1800-121-4408, इस पर फोन करके भी पूछ सकते हैं।
अब रामप्यारी तो बहुत खुश है अपनी स्टार्की मशीन से। कहती है, “अब तो मेरी ज़िन्दगी बदल गई।” पहले तो बेचारी को लगता था कि वो किसी से बात ही नहीं कर पाएगी, अब तो वो सबसे बातें करती है, खुश रहती है।
- कान की मशीन बैटरी से चलती है।
- बैटरी बदलनी पड़ती है कुछ दिनों में।
- अलग-अलग नंबर की बैटरी आती है।
तो भैया, ये है कहानी स्टार्की कान की मशीन की। अगर तुम्हारे घर में भी किसी को कम सुनाई देता है, तो डॉक्टर से पूछ कर ये मशीन लगवा सकते हो। बहुत आराम मिलता है, सच में। अब रामप्यारी को ही देख लो, कितनी खुश है वो।

अब ये मशीनें दो तरह की होती हैं, एक एनालॉग और एक डिजिटल। अब ये क्या होता है, मुझे तो नहीं पता। रामप्यारी बता रही थी कि डिजिटल वाली अच्छी होती है। उसमें आवाज़ ज़्यादा साफ़ आती है। अब ये तो डॉक्टर ही बताएंगे कि कौन सी लेनी चाहिए।
और हाँ, ये मशीन की सफाई भी रखनी पड़ती है। रामप्यारी रोज़ सुबह अपनी मशीन साफ़ करती है। कहती है कि गंदी हो जाए तो आवाज़ ठीक से नहीं आती।
तो बस, यही सब है। starkey hearing machine price, ये सब बातें ध्यान में रखनी चाहिए। डॉक्टर से पूछो, दाम देखो, बैटरी देखो, सब कुछ देख-भाल कर ही लेनी चाहिए ये मशीन।
अब मैं क्या बताऊँ, ये सब बातें तो मुझे रामप्यारी ने ही बताई थीं। मैं तो बस तुम लोगों को बता रही हूँ। चलो, अब मैं चलती हूँ, मुझे घर का काम भी करना है।