अरे हाँ, सुना है कि आजकल लोग बड़ा अचार-वचार खेल रहे हैं, है ना? ये अचार-वचार क्या है, मैंने तो कभी देखा नहीं। सुना है कि इसको टेनिस वाले कोर्ट पर भी खेल सकते हैं। अब हम गाँव वाले, टेनिस-वेनिस कहाँ देखे हैं, बस सुना ही है।
क्या है ये अचार-वचार?
मैंने सुना है कि ये अचार-वचार कोई नया खेल है, जैसे लूडो-वूडो खेलते हैं ना, वैसे ही कुछ होगा। अब टेनिस तो मैंने सुना है, बड़े लोग खेलते हैं, वो लम्बा सा बल्ला होता है ना, उससे गेंद मारते हैं। ये अचार-वचार भी कुछ ऐसा ही होगा शायद, पर सुना है कि इसमें बल्ला छोटा होता है, और गेंद भी अलग होती है।

- टेनिस का मैदान तो बड़ा होता है, मैंने सुना है।
- अचार-वचार का मैदान थोड़ा छोटा होता है, ऐसा लोग कहते हैं।
टेनिस के मैदान पर अचार-वचार कैसे खेलें?
अब देखो, मेरे जैसा तो कोई जानता नहीं, पर सुना है कि टेनिस का मैदान बड़ा होता है, तो अचार-वचार खेलने के लिए थोड़ा इंतजाम करना पड़ेगा। सुना है कि नेट थोड़ा नीचा करना पड़ता है, और लाइन-वाइन भी थोड़ी अलग बनानी पड़ती है। अब ये सब कैसे करते हैं, ये तो कोई जानता होगा वही बता पाएगा।
मैं तो बस इतना जानती हूँ कि कोई भी खेल खेलो, थोड़ा ध्यान से खेलना चाहिए, नहीं तो चोट लग जाएगी। और हाँ, खेल को खेल की तरह ही खेलना चाहिए, ज्यादा लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहिए।
अचार-वचार खेलने के नियम-कायदे
सुना है कि हर खेल के अपने नियम-कायदे होते हैं। जैसे कबड्डी खेलते हैं तो उसमें एक दूसरे को पकड़ते हैं, और खो-खो खेलते हैं तो भागते हैं। वैसे ही अचार-वचार में भी कुछ नियम होंगे। सुना है कि इसमें गेंद को नेट के ऊपर से मारना होता है, और अगर गेंद लाइन के बाहर गई तो प्वाइंट दूसरे वाले को मिल जाता है। अब ये सब तो जो खेलेगा वही जानेगा।
खेलने से पहले क्या करें?

अब देखो, हम गाँव वाले तो इतना नहीं जानते, पर सुना है कि कोई भी खेल खेलने से पहले थोड़ा वार्म-अप करना चाहिए। इससे क्या होता है कि शरीर थोड़ा गरम हो जाता है, और चोट लगने का डर कम हो जाता है। और हाँ, पानी-वानी भी पी लेना चाहिए, नहीं तो खेलते-खेलते प्यास लग जाएगी।
अचार-वचार कहाँ खेलें?
मैंने सुना है कि अचार-वचार कहीं भी खेल सकते हैं, टेनिस के मैदान पर, बैडमिंटन के मैदान पर, या फिर घर के आँगन में भी। बस थोड़ी जगह होनी चाहिए, और खेलने वाले लोग होने चाहिए। अब हम गाँव वाले तो कहीं भी खेल लेते हैं, खेत में, सड़क पर, जहाँ जगह मिली वहीं खेलने लगे।
खेलने के फायदे
सुना है कि खेलने से शरीर स्वस्थ रहता है, और मन भी खुश रहता है। अब हम गाँव वाले तो इतना नहीं जानते, पर इतना जानते हैं कि मेहनत करने से शरीर मजबूत होता है, और खेलने से मन खुश होता है। तो चाहे कोई भी खेल खेलो, बस खेलते रहो, और खुश रहो।
क्या अचार-वचार सबके लिए है?

मैंने सुना है कि अचार-वचार कोई भी खेल सकता है, बच्चे, बूढ़े, जवान, सब। बस थोड़ा खेलने का मन होना चाहिए, और थोड़ी जगह होनी चाहिए। अब हम गाँव वाले तो सब मिलकर खेलते हैं, कोई छोटा-बड़ा नहीं देखता। तो तुम भी जाओ, और खेलो, मज़ा आएगा।
अचार-वचार और टेनिस में अंतर
टेनिस तो मैंने सुना है बड़ा भारी खेल है, बड़े लोग खेलते हैं। उसमे ताकत लगती है, और दौड़ना भी बहुत पड़ता है। अचार-वचार थोड़ा हल्का-फुल्का खेल है, बच्चे भी खेल सकते हैं, बूढ़े भी खेल सकते हैं। इसमें बल्ला छोटा होता है, और गेंद भी हल्की होती है। और हाँ, टेनिस में तो गेंद बहुत तेजी से आती है, अचार-वचार में थोड़ा धीरे-धीरे आती है।
खेलने के लिए क्या चाहिए?
सुना है कि अचार-वचार खेलने के लिए बल्ला चाहिए, गेंद चाहिए, और एक नेट चाहिए। अब बल्ला कैसा होता है, गेंद कैसी होती है, ये तो मैंने देखा नहीं। पर सुना है कि बल्ला लकड़ी का होता है, और गेंद प्लास्टिक की होती है। और नेट तो जाली जैसा होता है, जो बीच में लगा देते हैं।
खेलने का समय

मैंने सुना है कि अचार-वचार कभी भी खेल सकते हैं, सुबह, शाम, दोपहर। जब मन करे तब खेलो। अब हम गाँव वाले तो सुबह-सुबह काम करते हैं, और शाम को थोड़ा खेलते हैं। पर सुना है कि शहर वाले लोग कभी भी खेल लेते हैं, जब उनको टाइम मिलता है।
अचार-वचार का मजा
मैंने तो सुना है कि अचार-वचार बड़ा मजेदार खेल है। इसमें खूब भागना पड़ता है, खूब उछलना पड़ता है, और खूब हंसी-मजाक भी होता है। तो तुम भी जाओ, और खेलो, देखो कैसा मजा आता है।
आखिरी बात
देखो भाई, मैंने तो जो सुना था वो बता दिया। अब तुम जानो और तुम्हारा काम जाने। खेलना है तो खेलो, नहीं खेलना है तो मत खेलो। मैं तो बस इतना जानती हूँ कि कोई भी काम करो, दिल लगाकर करो, और मजे से करो।