अरे दोस्तों, आज मैं आपसे एक मज़ेदार चीज़ शेयर करने वाला हूँ जो मैंने हाल ही में की थी – अपने बच्चों को टेनिस सिखाना! सच कहूँ तो, शुरुआत में मैं थोड़ा घबराया हुआ था, क्योंकि मेरे बच्चे ज़्यादा खेल-कूद में दिलचस्पी नहीं लेते. लेकिन फिर मैंने सोचा, चलो कोशिश करते हैं, क्या पता कुछ मज़ा आ जाए!
तैयारी का काम
सबसे पहले, मैंने थोड़ा रिसर्च किया. यूट्यूब पर वीडियो देखे, कुछ वेबसाइटें पढ़ीं, ये समझने के लिए कि बच्चों को टेनिस सिखाने का सही तरीका क्या है. फिर मैंने छोटे-छोटे रैकेट और सॉफ्ट टेनिस बॉल खरीदे. ये ज़रूरी था, क्योंकि बच्चों के लिए बड़े रैकेट और हार्ड बॉल संभालना मुश्किल होता.
पहला दिन – कोर्ट पर मस्ती
पहले दिन, हम बस कोर्ट पर गए और थोड़ा मज़ा किया. मैंने उन्हें रैकेट पकड़ना सिखाया, बॉल को उछालना और बस ऐसे ही इधर-उधर मारना सिखाया. कोई नियम नहीं, कोई दबाव नहीं, बस मस्ती! सबसे ज़रूरी बात ये थी कि उन्हें खेल से प्यार हो जाए.

धीरे-धीरे आगे बढ़ना
अगले कुछ दिनों में, मैंने उन्हें कुछ बेसिक चीज़ें सिखाईं, जैसे कि फोरहैंड और बैकहैंड कैसे मारते हैं. मैंने उन्हें ये भी सिखाया कि बॉल को कैसे सर्व करते हैं. मैंने सब कुछ बहुत धीमा रखा और हर चीज़ को खेल की तरह बनाया. उदाहरण के लिए, हम एक गेम खेलते थे जहाँ उन्हें बॉल को एक खास जगह पर मारना होता था. जो सबसे ज़्यादा बार सही जगह पर मारता, वो जीतता!
- मैंने उन्हें रैकेट सही तरीके से पकड़ना सिखाया.
- फोरहैंड और बैकहैंड मारना सिखाया.
- सर्विस करना सिखाया.
- सब कुछ खेल-खेल में सिखाया.
मुश्किलें और उनका सामना
ऐसा नहीं था कि सब कुछ आसानी से हो गया. कई बार बच्चे थक जाते थे, बोर हो जाते थे या फिर गुस्सा हो जाते थे. ऐसे में, मैं थोड़ा ब्रेक लेता था, उन्हें पानी पिलाता था और फिर से शुरू करते थे. कभी-कभी मैं उन्हें आइसक्रीम का लालच भी देता था! 😉
नतीजा क्या निकला?
कुछ हफ्तों के बाद, मेरे बच्चे वाकई में टेनिस खेलने लगे थे! वे अब बॉल को सही से मार पा रहे थे, सर्विस कर पा रहे थे और यहाँ तक कि कुछ पॉइंट्स भी जीत रहे थे! सबसे अच्छी बात ये थी कि वे खेल का मज़ा ले रहे थे और साथ में समय बिता रहे थे. मेरे लिए, यही सबसे बड़ी जीत थी!
तो दोस्तों, ये थी मेरी बच्चों को टेनिस सिखाने की कहानी. अगर आपके बच्चे भी टेनिस सीखना चाहते हैं, तो बस याद रखें – सब्र रखें, मज़े करें और उन्हें खेल से प्यार करने दें!