अरे हाँ, सुना है कि तू पूछ रहा है कि कौन सी एनबीए टीम का समर्थन करना चाहिए? अरे हाँ, ये तो ऐसा सवाल है जैसे गाँव में पूछना कि किस खेत में बीज बोना चाहिए! हर खेत अलग, हर टीम अलग।
देखो भई, एनबीए टीम चुनना कोई आसान काम थोड़े ही है। ये तो अपनी अपनी पसंद की बात है। जैसे किसी को गुड़ पसंद है तो किसी को शक्कर। वैसे ही किसी को तेज तर्रार खिलाड़ी पसंद हैं तो किसी को लंबे तगड़े।
सबसे पहले तो ये समझ ले कि टीमें दो तरह की होती हैं। एक तो वो जो हमेशा जीतती हैं, एकदम शेर की तरह। दूसरी वो जो कभी जीतती हैं कभी हारती हैं, कभी ऊपर कभी नीचे। अब तू सोच ले कि तू कैसी टीम चाहता है। तू शेर बनना चाहता है या किसान जो कभी फसल अच्छी उगाता है कभी थोड़ी कम।

- अगर तू जीतने वाली टीम का समर्थक बनना चाहता है तो लॉस एंजिल्स लेकर्स या बोस्टन सेल्टिक्स को देख ले। ये तो ऐसी टीमें हैं जैसे गाँव का सरपंच, हमेशा आगे रहने वाली। इनके पास बड़े-बड़े खिलाड़ी हैं, जैसे गाँव में बड़े जमींदार होते हैं।
- अगर तू ऐसी टीम चाहता है जो मेहनत करे, कभी जीते कभी हारे, तो गोल्डन स्टेट वॉरियर्स, मिलवॉकी बक्स या फीनिक्स सन्स को देख ले। ये तो ऐसी टीमें हैं जैसे गाँव के मेहनती किसान, कभी फसल अच्छी होती है कभी थोड़ी कम। लेकिन ये हार नहीं मानते, लगे रहते हैं।
फिर ये भी देखना पड़ता है कि तू किस तरह का खेल पसंद करता है। कुछ टीमें तो ऐसी हैं जो धूम धड़ाका करती हैं, तेजी से भागती हैं, जैसे गाँव में दंगल होता है ना, वैसा। कुछ टीमें धीरे-धीरे खेलती हैं, दिमाग लगाती हैं, जैसे गाँव में बुजुर्ग लोग बातचीत करते हैं, सोच समझकर।
अब जैसे मैं तो पुराने जमाने की बातें करती हूँ। पहले तो इतने टीवी और ये इंटरनेट वगैरह नहीं थे। हम तो रेडियो पर सुनते थे मैच। कभी कभी शहर जाते थे तो देख भी आते थे। अब तो सब कुछ आसान हो गया है। तू मोबाइल पर ही देख सकता है, सब खिलाड़ियों के बारे में जान सकता है।
और हाँ, ये भी ध्यान रखना कि टीम चुनना कोई शादी करने जैसा नहीं है। तू कभी भी अपनी टीम बदल सकता है। अगर तुझे कोई नई टीम पसंद आ जाए तो उसका समर्थन करना शुरू कर दे। इसमें कोई बुराई नहीं है। ये तो अपनी खुशी की बात है।
मेरा तो यही कहना है कि तू सब टीमों को देख, उनके खिलाड़ियों के बारे में पढ़, उनके खेलने का तरीका देख और फिर जो टीम तुझे सबसे अच्छी लगे उसका समर्थन कर। जैसे हम गाँव में फसल बोने से पहले देखते हैं ना कि कौन सी मिट्टी अच्छी है, कौन सा बीज अच्छा है, वैसे ही।
आखिर में, ये भी याद रखना कि ये सिर्फ खेल है। जीतना हारना तो लगा रहता है। तू बस खेल का मजा ले। जैसे हम गाँव में त्योहार मनाते हैं ना, खुशी खुशी, वैसे ही। ज्यादा दिमाग मत लगा। बस देख और मजे कर।
और अगर ज्यादा समझ ना आए तो किसी दोस्त से पूछ ले या फिर जो टीम सबसे ज्यादा चर्चा में हो उसका समर्थन करना शुरू कर दे। जैसे गाँव में जिसकी सबसे ज्यादा बात होती है उसी को सब जानते हैं ना, वैसे ही।

अब तू समझ गया होगा कि एनबीए टीम कैसे चुनते हैं। ये तो अपनी पसंद की बात है। जैसे मुझे मीठा पसंद है तो मैं मीठा खाती हूँ। वैसे ही तू अपनी पसंद की टीम चुन ले। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है।
चल अब मैं जाती हूँ, मुझे और भी बहुत काम हैं। तू अपना ध्यान रखना और खुश रहना। और हाँ, टीम चुनने के बाद मुझे बताना जरूर कि तूने कौन सी टीम चुनी है। ठीक है?