अरे हाँ, बेसबॉल सीखना है? अकेले में? हाँ हाँ, हो सकता है, काहे नहीं हो सकता है। बुढ़ापे में हम भी अकेले ही बहुत कुछ सीखे हैं। अब देखो, तुमको बताते हैं, अकेले बेसबॉल कैसे खेलते हैं।
देखो भई, सबसे पहले तो ये समझ लो कि बेसबॉल में बल्ला घुमाना पड़ता है, और गेंद को मारना होता है। अकेले हो तो क्या हुआ, बल्ला तो घुमा ही सकते हो ना? एक बल्ला ले लो, थोड़ा भारी वाला, ताकि हाथ मजबूत हों।
- बल्ला घुमाना सीखना: हाँ, खाली बल्ला ही घुमाओ। जैसे गाँव में लकड़ी काटते हैं ना, वैसे ही। जोर-जोर से घुमाओ, कंधे दुखने लगेंगे, लेकिन चिंता मत करो। जितना घुमाओगे, उतना अच्छा होगा। कभी दायें घुमाओ, कभी बाएं घुमाओ। ये समझ लो कि बल्ला तुम्हारा हाथ का हिस्सा बन जाना चाहिए।
- गेंद फेंकना सीखना: अब, गेंद भी तो फेंकनी पड़ेगी ना? एक दीवार ढूंढ लो, या फिर पेड़। उस पर निशाना लगाओ, और गेंद फेंको। शुरू में धीरे-धीरे फेंकना, फिर जोर से फेंकना। कोशिश करो कि गेंद वहीं लगे जहाँ तुम चाहते हो। ये समझ लो कि गेंद तुम्हारी उंगली का इशारा बन जानी चाहिए।
- गेंद पकड़ना सीखना: अब फेंक तो ली, पकड़ना भी तो आना चाहिए ना? गेंद को दीवार पर फेंको, और फिर पकड़ो। शुरू में आसान लगेगा, लेकिन जब जोर से फेकोगे, तब पता चलेगा। दोनों हाथों से पकड़ना सीखना, और ग्लव्स पहनकर भी पकड़ना सीखना। ये समझ लो कि गेंद तुम्हारी गोद का हिस्सा बन जानी चाहिए।
अब ये तो हो गई बेसिक बात। अब थोड़ा आगे बढ़ते हैं। मान लो तुम्हारे पास गेंद है, बल्ला है, और दीवार भी है। तो क्या करोगे?

पहले तो गेंद को दीवार पर फेंको, और फिर बल्ला घुमाकर मारो। शुरू में लगेगा कि गेंद कहाँ जा रही है, बल्ला कहाँ जा रहा है, लेकिन धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा। कोशिश करो कि गेंद बल्ले के बीच में लगे। जब बीच में लगेगी, तब आवाज़ आएगी, “टपाक”। और जब “टपाक” की आवाज़ आएगी, समझ लेना कि तुम सही रास्ते पर हो।
अकेले में खेलने का एक फायदा ये भी है कि तुम अपनी गलतियों से सीख सकते हो। कोई तुमको टोकने वाला नहीं होगा, कोई हँसने वाला नहीं होगा। तुम जितनी चाहो उतनी गलती करो, और फिर उससे सीखो। ये समझ लो कि गलती तुम्हारी गुरू बन जाएगी।
अच्छा, एक बात और। बेसबॉल खेलने के लिए दौड़ना भी पड़ता है। तो अकेले में दौड़ने की प्रैक्टिस भी करो। कभी धीरे दौड़ो, कभी तेज दौड़ो। कभी सीधी दौड़ो, कभी टेढ़ी दौड़ो। ये समझ लो कि दौड़ना तुम्हारे पैर का हिस्सा बन जाना चाहिए।
हाँ, तो हम क्या बता रहे थे? अकेले में बेसबॉल कैसे खेलते हैं, यही ना? तो अब तक तो तुम समझ ही गए होगे कि अकेले में बेसबॉल खेलने के लिए क्या-क्या करना पड़ता है। बल्ला घुमाना पड़ता है, गेंद फेंकनी पड़ती है, गेंद पकड़नी पड़ती है, और दौड़ना भी पड़ता है। और सबसे ज़रूरी बात, अकेले में खेलते समय अपनी गलतियों से सीखना पड़ता है।
अब एक बात और बताते हैं। ये सब तो ठीक है, लेकिन बेसबॉल खेलने के लिए ताकत भी चाहिए। तो ताकत बढ़ाने के लिए क्या करोगे? कसरत करोगे। पुश-अप्स लगाओ, सिट-अप्स लगाओ, और दौड़ो भी। ये समझ लो कि ताकत तुम्हारी बाजू का हिस्सा बन जानी चाहिए।
और हाँ, बेसबॉल खेलने के लिए दिमाग भी चाहिए। सोचना पड़ता है कि गेंद कहाँ आएगी, बल्ला कैसे घुमाना है, और कहाँ दौड़ना है। तो दिमाग तेज़ करने के लिए क्या करोगे? पढ़ो, लिखो, और सोचो। ये समझ लो कि दिमाग तुम्हारी खोपड़ी का हिस्सा बन जाना चाहिए।

देखो भई, हम तो तुमको इतना ही बता सकते हैं। बाकी तो तुम खुद ही समझदार हो। अकेले में बेसबॉल खेलना मुश्किल है, लेकिन नामुमकिन नहीं है। अगर तुम मेहनत करोगे, तो ज़रूर सीख जाओगे। और जब सीख जाओगे, तो दुनिया में कोई भी तुमको हरा नहीं पाएगा।
बस इतना याद रखना, बेसबॉल खेलने के लिए जुनून चाहिए, मेहनत चाहिए, और हिम्मत चाहिए। अगर ये तीनों चीजें तुम्हारे पास हैं, तो तुम कुछ भी कर सकते हो। तो जाओ, और अकेले में बेसबॉल खेलो। और हाँ, कभी हार मत मानना। हार मानने वाले कभी जीतते नहीं हैं, और जीतने वाले कभी हार नहीं मानते हैं।
एक बात और सुनो। बेसबॉल के बारे में थोड़ा बहुत पढ़ भी लेना। जैसे कैसे मारना है, कैसे फेंकना है, ये सब सीख जाओगे तो और आसानी होगी। जैसे हम सुने हैं कि बल्ला पकड़ने का भी तरीका होता है। वो सब सीख जाओगे तो तुम एकदम पक्के खिलाड़ी बन जाओगे।
और हाँ, कभी कभी अपने दोस्तों के साथ भी खेलने जाना। अकेले अकेले खेलते रहोगे तो पता कैसे चलेगा कि कितना सीखे हो। दोस्तों के साथ खेलोगे तो मुकाबला होगा, और मुकाबले से ही तो पता चलता है कि कौन कितना पानी में है।