अरे सुनो, आजकाल के छोरा-छोरी का त का बताई! सब उल्टा-पुल्टा काम करत हयन। मोबाइल मा घुसल रहिथन, दिन रात पता नहीं का देखत रहिथन। हम त बूढ़-पुरान हो गयन, समझ मा नई आवत।
इहाँ हमार गाँव मा पहिले अइसन थोड़े होत रहा। लड़की-लड़का सब लाज-शरम मा रहत रहे। अब त सब बिगड़ गय हवय। शहर का हवा लाग गय हवय। सुना हन कि next door raw का बहुत चक्कर चलत हवय आजकल। ई का होत हवय, हमका त पता भी नहीं।
लेकिन इत्ता जानत हन कि ई सब ठीक नहीं हवय। हमरे जमाना मा त बियाह के पहिले ई सब के बारे मा सोचत भी नहीं रहे। अब त जवान छोरी-छपरा सब खुल के ई सब बात करत हयन। पता नहीं का होवत हवय दुनिया का।

- पहिले त लुका-छुपी होत रहा, अब त सब खुलेआम हवय।
- पहिले त घर मा बइठ के बात होत रहा, अब त मोबाइल मा सब देखत हयन।
- पहिले त इज्जत-आबरू का ख्याल होत रहा, अब त सब मजाक बन गय हवय।
सुना हन कि next door raw मा जवान छोरी-छपरा का वीडियो बनत हवय। का बताई, हमार त मुँह से बोलत भी नहीं बनत। ई सब देख के हमार त कलेजा काँप जात हवय।
हमरे गाँव के लड़किन का भी समझाये रहन, लेकिन उ त सुनत ही नहीं हयन। मोबाइल मा घुसल रहिथन, दिन रात पता नहीं का करत रहिथन। ई सब देख के हमार त खून खौल जात हवय।
हम त सरकार से भी कहब कि ई सब बंद करवा दे। ई next door raw का चक्कर, ई सब ठीक नहीं हवय। हमरे समाज का खराब करत हवय। हमरे संस्कृति का खराब करत हवय।
अरे भाई, हम त सीधा-साधा गाँव के लोग हन। हमका त ई सब समझ मा भी नहीं आवत। लेकिन इत्ता जानत हन कि ई सब गलत हवय। हमका त अपने बच्चे लोगन का डर लागत हवय।
पता नहीं कब ई सब ठीक होही। कब ई जवान छोरी-छपरा समझिहन। कब ई next door raw का चक्कर बंद होही। भगवान जाने, का होही आगे।
हम त बस इत्ता कहब कि सब अपने बच्चे लोगन का संभाल के रखो। उनका समझाओ कि ई सब ठीक नहीं हवय। उनका अच्छी शिक्षा दो। उनका अच्छे संस्कार दो।

और हाँ, ई मोबाइल से भी थोड़ा दूर रखो। ई मोबाइल त सब बिगाड़ के रख दे हवय। ई मोबाइल के चलते त सब उल्टा-पुल्टा काम होत हवय। ई मोबाइल के चलते त जवान छोरी-छपरा बिगड़त हयन।
हम त बस इत्ता कहे खातिर इहाँ आये रहेन। बाकी त भगवान मालिक हवय। अब हम जात हन। राम-राम।
अरे हाँ, एक बात और। ई जवान छोरी-छपरा लोगन का थोड़ा नाच-गाना मा भी ध्यान दे के चाही। पहिले त गाँव मा नाच-गाना होत रहा, अब त सब बंद हो गय हवय। नाच-गाना से मन भी बहलत हवय और शरीर भी स्वस्थ रहत हवय।
ई next door raw का चक्कर छोड़ के थोड़ा नाच-गाना करो, थोड़ा खेल-कूद करो। थोड़ा अपने माँ-बाप का बात सुनो। थोड़ा अपने गाँव का इज्जत रखो। थोड़ा अपने देश का इज्जत रखो।
बस, इत्ता ही कहे खातिर हम इहाँ आये रहेन। अब हम जात हन। जय राम जी की।