अरे हाँ, सुना है आजकल बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं, ये एफ1 के ड्राइवर, बड़े तेज गाड़ी चलाते हैं। सुना है कि गाड़ी चलाते वक्त इन पर बड़ा जोर पड़ता है, जी-फोर्स, जी-फोर्स कहते हैं सब। अब ये जी-फोर्स क्या होता है, ये तो हम गाँव वाले क्या जानें। लेकिन इतना सुना है कि ये जी-फोर्स बहुत ज्यादा होता है।
ये जी-फोर्स होता क्या है?
देखो भाई, हम तो इतना जानते हैं कि जब गाड़ी तेज चलती है, तो अंदर बैठे आदमी पर जोर पड़ता है। अब ये जी-फोर्स भी कुछ ऐसा ही होगा। सुना है कि जब गाड़ी मोड़ पर घूमती है, या जब ब्रेक लगाते हैं, तब ये जी-फोर्स बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इतना बढ़ जाता है कि आदमी का वजन कई गुना बढ़ जाता है। मतलब अगर कोई 60 किलो का है, तो उसको 300-360 किलो जितना भारी लगेगा। सोचो, इतना वजन लेकर गाड़ी चलाना, कितना मुश्किल होता होगा।

सुना है कि ये एफ1 की गाड़ियाँ तो बहुत ही तेज चलती हैं। कुछ ही सेकंड में हवा से बातें करने लगती हैं। और जब इतनी तेज चलेंगी, तो जी-फोर्स तो लगेगा ही। ये जी-फोर्स कभी इधर धकेलता है, कभी उधर धकेलता है। ड्राइवर को तो पूरा जोर लगाना पड़ता होगा गाड़ी को काबू में रखने के लिए।
- गाड़ी तेज चलाना
- मोड़ पर गाड़ी घुमाना
- ब्रेक लगाना
ये सब करते वक्त जी-फोर्स बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। और ड्राइवर को इसी जी-फोर्स से लड़ना पड़ता है।
एफ1 के ड्राइवर कितने जी-फोर्स झेलते हैं?
सुना है कि ये एफ1 के ड्राइवर 5 से 6 जी-फोर्स तक झेलते हैं। कभी-कभी तो ये 6 जी-फोर्स से भी ज्यादा हो जाता है। अब ये 5-6 जी-फोर्स कितना होता है, ये तो हम क्या जानें। लेकिन इतना सुना है कि ये बहुत ज्यादा होता है। इतना ज्यादा कि अच्छे-अच्छे पहलवान भी हार मान जाएँ।
जी-फोर्स से क्या होता है?
अरे भाई, जब इतना ज्यादा जोर पड़ेगा शरीर पर, तो कुछ तो होगा ही। सुना है कि जी-फोर्स से चक्कर आने लगते हैं, उल्टी जैसा लगने लगता है, और कभी-कभी तो बेहोशी भी आ जाती है। और अगर बेहोशी आ गई गाड़ी चलाते वक्त, तो फिर तो भगवान ही मालिक है।

एफ1 के ड्राइवर जी-फोर्स का सामना कैसे करते हैं?
सुना है कि ये एफ1 के ड्राइवर बहुत ही मजबूत होते हैं। ये लोग खूब कसरत करते हैं, अपने शरीर को मजबूत बनाते हैं, ताकि ये जी-फोर्स को झेल सकें। ये लोग खास तरह की ट्रेनिंग भी लेते हैं, जिससे ये जी-फोर्स को सहना सीख जाते हैं। और ये लोग खास तरह के कपड़े भी पहनते हैं, जो इनके शरीर को जी-फोर्स से बचाते हैं।
क्या जी-फोर्स खतरनाक होता है?
हाँ भाई, खतरनाक तो होता ही है। इतना ज्यादा जोर पड़ेगा शरीर पर, तो खतरनाक तो होगा ही। लेकिन ये एफ1 के ड्राइवर तो खतरों के खिलाड़ी होते हैं। ये लोग खतरों से डरते नहीं हैं। ये लोग तो खतरों से खेलते हैं। और इसीलिए तो ये लोग एफ1 के ड्राइवर हैं।
आखिरी बात
तो भाई, ये जी-फोर्स बड़ी अजीब चीज है। इसके बारे में सुनकर तो हमें चक्कर आने लगे हैं। लेकिन ये एफ1 के ड्राइवर तो बड़े कमाल के होते हैं। ये लोग इतना जी-फोर्स झेलकर भी गाड़ी चलाते हैं। इन लोगों को सलाम है।

एफ1 ड्राइवर पर जी-फोर्स का असर
जब गाड़ी तेज भगाते हैं या अचानक ब्रेक लगाते हैं तो ड्राइवर पर बहुत असर पड़ता है। गाड़ी को मोड़ने में भी जी-फोर्स लगता है। ड्राइवर को गाड़ी कंट्रोल करने में बहुत ताकत लगानी पड़ती है। यह सब सुनने में आसान लगता है, लेकिन जब गाड़ी बहुत तेज चलती है तो यह बहुत मुश्किल होता है।
एफ1 गाड़ी और जी-फोर्स
एफ1 गाड़ियाँ बहुत तेज दौड़ती हैं और बहुत जल्दी स्पीड पकड़ती हैं। इसी वजह से जी-फोर्स बहुत ज्यादा होता है। गाड़ी की बनावट भी ऐसी होती है कि जी-फोर्स का असर ड्राइवर पर ज्यादा होता है। ड्राइवर को खास ट्रेनिंग लेनी पड़ती है ताकि वह इतने जी-फोर्स को झेल सके।
जी-फोर्स का गणित
ये जी-फोर्स का भी अपना गणित है। जितनी तेज गाड़ी चलेगी, जितना तेज ब्रेक लगेगा, जितना तेज मोड़ पर घूमेगी, उतना ही ज्यादा जी-फोर्स लगेगा। और जितना ज्यादा जी-फोर्स लगेगा, उतना ही ज्यादा मुश्किल होगा गाड़ी को काबू में रखना।

जी-फोर्स और रेस ट्रैक
सुना है कि अलग-अलग रेस ट्रैक पर जी-फोर्स अलग-अलग होता है। कुछ ट्रैक पर जी-फोर्स ज्यादा होता है, कुछ पर कम होता है। और इसीलिए तो ड्राइवर को हर ट्रैक के हिसाब से तैयारी करनी पड़ती है।
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