अरे हाँ, सुनो, आज बात करेंगे कि टेबल टेनिस का बल्ला कैसे चुनें। टेबल टेनिस खेलना बड़ा मज़ा आता है, पर अगर बल्ला ठीक ना हो तो मज़ा किरकिरा हो जाता है। हाँ, तो सुनो ध्यान से।
पहले तो देखो कि बल्ला पकड़ने में कैसा लगता है। ज़्यादा भारी भी ना हो, और एकदम हल्का भी ना हो। ठीक-ठीक वज़न होना चाहिए। जैसे रोटी बनाते हैं ना, ना ज़्यादा मोटी ना ज़्यादा पतली, वैसे ही बल्ला भी ना ज़्यादा भारी ना ज़्यादा हल्का। और हाँ, पकड़ने में भी आरामदेह होना चाहिए। ऐसा ना हो कि हाथ दुखने लगे।
- वज़न देखो
- पकड़ देखो
- आराम देखो
अब बात करते हैं ब्लेड की। ब्लेड मतलब लकड़ी वाला हिस्सा। ये अलग-अलग तरह का होता है। कोई तेज़ खेलता है, कोई धीरे। तो जैसा तुम्हारा खेल है, वैसा ही ब्लेड चुनो। तेज़ खेलने वाले थोड़ा कड़ा ब्लेड लें, और धीरे खेलने वाले थोड़ा नरम। जैसे दाल में नमक होता है ना, जितना चाहिए उतना ही डालो, वैसे ही ब्लेड भी अपनी ज़रूरत के हिसाब से चुनो। ज़्यादा तेज़ वाला ले लोगे तो गेंद भाग जाएगी, कंट्रोल नहीं कर पाओगे।

और हाँ, ब्लेड के ऊपर जो रबर लगी होती है ना, वो भी बड़ी ज़रूरी है। ये रबर भी अलग-अलग तरह की होती है। कोई ज़्यादा चिपचिपी होती है, कोई कम। ज़्यादा चिपचिपी वाली रबर से गेंद ज़्यादा घूमती है, पर कंट्रोल करना थोड़ा मुश्किल होता है। कम चिपचिपी वाली रबर से गेंद कम घूमती है, पर कंट्रोल करना आसान होता है। तो सोच लो, तुमको क्या चाहिए, ज़्यादा घुमाना है या ज़्यादा कंट्रोल करना है। जैसे सब्ज़ी में मसाला डालते हैं ना, ज़्यादा डालोगे तो तीखा हो जाएगा, कम डालोगे तो फीका लगेगा, वैसे ही रबर भी हिसाब से चुनो।
एक बात और ध्यान रखना, बल्ला नया लो या पुराना, हमेशा साफ रखो। गंदा बल्ला होगा तो गेंद ठीक से नहीं लगेगी। जैसे घर साफ रखते हैं ना, वैसे ही बल्ला भी साफ रखो। और हाँ, बल्ला कभी ज़मीन पर मत पटको, टूट जाएगा। जैसे चूल्हा संभाल के रखते हैं ना, वैसे ही बल्ला भी संभाल के रखो।
अब ये भी समझ लो कि टेबल टेनिस खेलते कैसे हैं। नियम-वियम तो होते ही हैं, पर असली बात है गेंद को सही जगह मारना। जैसे खेत में बीज बोते हैं ना, सही जगह बोओगे तभी फसल अच्छी होगी, वैसे ही गेंद को भी सही जगह मारोगे तभी पॉइंट मिलेगा। और हाँ, गेंद को ऐसे मारो कि सामने वाले को समझ ही ना आए। जैसे पहेली बुझाते हैं ना, वैसे ही सामने वाले को भी थोड़ा उलझाओ।
अच्छा, अब सुनो, बल्ला चुनते समय ज़्यादा पैसे खर्च करने की ज़रूरत नहीं है। महंगा बल्ला होगा तो अच्छा खेलेगा, ऐसा ज़रूरी नहीं है। जैसे गाय ज़्यादा दूध देती है, ज़रूरी नहीं कि वो ज़्यादा अच्छी हो, वैसे ही महंगा बल्ला ज़्यादा अच्छा खेलेगा, ऐसा ज़रूरी नहीं है। तुम बस ये देखो कि बल्ला तुम्हारे हाथ में कैसा लगता है, और तुम उससे कैसा खेल पाते हो।
और हाँ, एक बात और। टेबल टेनिस अकेले नहीं खेला जाता है। दो लोग चाहिए खेलने के लिए। तो अपने यार-दोस्तों के साथ खेलो, खूब मज़ा आएगा। जैसे मेला देखने अकेले नहीं जाते ना, दोस्त-यार साथ होते हैं तभी मज़ा आता है, वैसे ही टेबल टेनिस भी दोस्तों के साथ खेलो।
तो बस, इतनी सी बात है। बल्ला चुनते समय ज़्यादा दिमाग मत लगाओ। बस देखो कि बल्ला तुम्हारे हाथ में कैसा लगता है, और तुम उससे कैसा खेल पाते हो। और हाँ, खूब प्रैक्टिस करो, तभी अच्छे खिलाड़ी बनोगे। जैसे रोटी बनाने में प्रैक्टिस चाहिए ना, तभी गोल रोटी बनती है, वैसे ही टेबल टेनिस में भी प्रैक्टिस चाहिए, तभी अच्छे खिलाड़ी बनोगे।

और हाँ, अगर आसपास कोई अच्छा खिलाड़ी हो तो उससे भी सलाह ले सकते हो। जैसे गांव में किसी से रास्ता पूछते हैं ना, वैसे ही अच्छे खिलाड़ी से भी सलाह ले लो। वो तुम्हें बता देगा कि तुम्हारे लिए कौनसा बल्ला ठीक रहेगा।
चलो, अब जाओ और बल्ला खरीदो, और खूब खेलो।
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