कै शीर्षक है: का स्क्वैश टेनिस से आसान है?
अरे हाँ, चलो आज बात करते हैं कि का स्क्वैश टेनिस से आसान है। हम तो गांव के लोग हैं, सीधी बात समझते हैं। ज्यादा घुमा फिरा के बात करने का आदत नहीं है।
देखो, मैंने तो दोनों खेला नहीं है, पर सुना है लोगों से। कुछ लोग कहते हैं स्क्वैश आसान है, कुछ कहते हैं टेनिस। अब हम तो ठहरे सीधे-साधे लोग, हमको तो जो समझ में आएगा, वही बताएंगे।

स्क्वैश का है?
सुना है कि स्क्वैश एक बंद कमरे में खेला जाता है, चार दीवारें होती हैं। और हाँ, गेंद भी छोटी होती है, रबर की बनी हुई। और रैकेट भी छोटा होता है। अब बंद कमरे में खेलना तो थोड़ा आसान लगता है, है ना? भागना भी कम पड़ता होगा।
- कम जगह चाहिए
- गेंद छोटी और हल्की
- रैकेट भी छोटा
टेनिस का है?
टेनिस तो खुले मैदान में खेलते हैं, बड़ा सा रैकेट होता है, गेंद भी बड़ी होती है। और हाँ, भागना भी खूब पड़ता है। धूप में खेलो, पसीना बहे। ये तो थोड़ा मुश्किल लगता है।
- खुला मैदान चाहिए
- गेंद बड़ी और भारी
- रैकेट भी बड़ा
- भागना ज्यादा पड़ता है
आसान का है?
अब देखो, स्क्वैश में कम भागना पड़ता है, बंद कमरे में खेलना है, तो गर्मी भी कम लगती होगी। और गेंद भी छोटी है, तो जोर भी कम लगाना पड़ता होगा। तो मेरे हिसाब से तो स्क्वैश थोड़ा आसान लगता है।

लेकिन हाँ, कुछ लोग कहते हैं कि टेनिस में तकनीक ज्यादा चाहिए। गेंद को सही जगह मारना, सही ताकत लगाना, ये सब सीखना पड़ता है। स्क्वैश में भी तकनीक चाहिए, पर शायद टेनिस से थोड़ी कम।
हमारी राय का है?
अब हम तो ठहरे गांव के लोग, सीधी बात समझते हैं। हमको तो यही लगता है कि स्क्वैश थोड़ा आसान है। कम भागना पड़ता है, कम जगह चाहिए, गर्मी भी कम लगती है। लेकिन हाँ, हर खेल में मेहनत तो लगती है। बिना मेहनत के तो कुछ नहीं मिलता।
स्क्वैश कैसे खेलें?
अब हम तो कभी खेले नहीं, पर जितना सुना है, उतना बता देते हैं। सुना है दुई जने खेलते हैं एक छोटा सा कमरा मा, चारों तरफ दीवार रहेला। एक ठो गेंद रहेला, छोटा सा रबर का, और एक ठो रैकेट रहेला। गेंद को दीवार पे मारना होता है, और दूसरा आदमी उसको मारे से पहले टप्पा खिलाना होता है। ऐसे ही करते करते खेला जाता है।
निष्कर्ष का निकला?

देखो भाई, हम तो इतना ही जानते हैं कि स्क्वैश थोड़ा आसान लगता है टेनिस से। बाकी तो खेलने वाले जानें। हम तो गांव में रहते हैं, अपना खेती-बाड़ी करते हैं। ये खेल-वेल तो शहरों के लोग खेलते हैं। पर हाँ, इतना जरूर पता है कि हर खेल में मेहनत लगती है, चाहे वो स्क्वैश हो या टेनिस।
खेलना का जरूरी है?
अरे हाँ, खेलना तो बहुत जरूरी है। शरीर ठीक रहता है, मन भी खुश रहता है। चाहे कोई भी खेल खेलो, खेलना जरूर चाहिए। और हाँ, जीत हार तो लगी रहती है, हार से निराश नहीं होना चाहिए, कोशिश करते रहना चाहिए।
अंत में का कहें?
चलो भाई, आज के लिए इतना ही। हमने तो अपनी सीधी-सादी भाषा में बता दिया कि का स्क्वैश टेनिस से आसान है। बाकी तो आप लोग समझदार हैं, खुद ही समझ लो। और हाँ, खेलते रहो, खुश रहो।