अरे यार, आज तो मैंने सोचा कि चलो, थोड़ा टेनिस खेलते हैं। वैसे तो मैं ज़्यादातर हार्ड कोर्ट पर ही खेलता हूं, पर आज मन किया कि चलो, क्ले कोर्ट पर ट्राई करते हैं।
तो बस, मैं पहुंच गया अपने पास वाले टेनिस क्लब और वहां जाकर मैंने क्ले कोर्ट बुक कर लिया। अब शुरू हो गई मेरी क्ले कोर्ट टेनिस की जर्नी।
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पहला कदम:
जैसे ही मैंने क्ले कोर्ट पर पैर रखा, भाई साहब, एकदम अलग ही फील आई। हार्ड कोर्ट की तुलना में क्ले कोर्ट थोड़ा धीमा होता है, ये तो मुझे पता था, पर इतना धीमा होगा, ये नहीं सोचा था। बॉल बाउंस होकर थोड़ी कम उठती है और थोड़ी स्लो भी हो जाती है।
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दूसरा कदम:
मैंने खेलना शुरू किया और थोड़ी देर में ही समझ आ गया कि यहां तो हार्ड कोर्ट वाली रणनीति नहीं चलेगी। यहां तो बॉल को थोड़ा ज़्यादा स्पिन देना पड़ेगा, थोड़ा ज़्यादा टॉपस्पिन मारना पड़ेगा, ताकि बॉल बाउंस होकर थोड़ी ज़्यादा उठे और मेरे विपक्षी को खेलने में दिक्कत हो।
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तीसरा कदम:
अब भाई, आदत तो थी हार्ड कोर्ट की, तो शुरू में तो थोड़ी दिक्कत हुई। कभी बॉल नेट में लग जाती, कभी बाहर चली जाती। पर धीरे-धीरे आदत पड़ती गई और फिर क्या, मज़ा आने लगा। क्ले कोर्ट पर खेलने का अपना ही मज़ा है। यहां आपको थोड़ा ज़्यादा धैर्य रखना पड़ता है, थोड़ा ज़्यादा सोचना पड़ता है, थोड़ा ज़्यादा दिमाग लगाना पड़ता है।
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चौथा कदम:
मैंने कुछ मैच खेले और कुछ हारे भी, कुछ जीते भी। पर हार-जीत से ज़्यादा मुझे मज़ा आया क्ले कोर्ट पर खेलने का। मुझे लगा कि यार, ये तो एक अलग ही तरह का गेम है। यहां आपकी फिटनेस का भी ज़्यादा टेस्ट होता है, क्योंकि आपको ज़्यादा भागना पड़ता है, ज़्यादा स्लाइड करना पड़ता है।
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पांचवां कदम:
तो भाई, आज का दिन तो बड़ा मज़ेदार रहा। क्ले कोर्ट पर खेलकर मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। मुझे समझ आया कि कैसे अलग-अलग कोर्ट पर अलग-अलग तरीके से खेलना होता है। मुझे ये भी समझ आया कि कैसे क्ले कोर्ट आपके गेम को इम्प्रूव कर सकता है, आपकी फिटनेस को इम्प्रूव कर सकता है।
तो दोस्तों, अगर आपने कभी क्ले कोर्ट पर टेनिस नहीं खेला है, तो एक बार ज़रूर ट्राई करना। आपको ज़रूर मज़ा आएगा। और हां, अगर आप पहले से ही क्ले कोर्ट पर खेलते हैं, तो कमेंट में अपने अनुभव ज़रूर शेयर करना।
अच्छा तो फिर, मैं तो चला अपने अगले क्ले कोर्ट मैच की तैयारी करने। तब तक के लिए, अलविदा!