अरे बेटा, आज मैं तुम्हें बताऊंगी ये कार बिना ड्राइवर के कैसे चलती है। आजकल बहुत सुनने में आ रहा है, कार बिना ड्राइवर के, कार बिना ड्राइवर के! तो सुनो, ये सब कैसे होता है।
आजकल की गाड़ियां, बड़ी अक्लमंद हो गयी हैं, बेटा! पहले तो हम बैलगाड़ी चलाते थे, फिर वो इंजन वाली गाड़ी आई, और अब ये। पहले वाली गाड़ी में तो ड्राइवर सब कुछ करता था, गियर बदलता, ब्रेक लगाता, सब कुछ। पर अब, अब तो सब गाड़ी खुद ही कर लेती है, जैसे उसके अंदर कोई बैठा हो!
ये जो बिना ड्राइवर वाली गाड़ी है न, इसको अँग्रेजी में कहते हैं, ADAS। अब ये ADAS क्या है? अरे बेटा, ये ADAS न, गाड़ी की अक्ल है, समझ लो। जैसे हमारी अक्ल होती है न, हम देखकर, समझकर चलते हैं, वैसे ही ये ADAS गाड़ी को चलाता है।

- ADAS मतलब, अड़वांस गाड़ी चलाने वाला सिस्टम।
- ये सिस्टम गाड़ी में लगा होता है, और गाड़ी को बताता है कि कब ब्रेक लगाना है, कब मुड़ना है, सब कुछ।
- जैसे हमारी आँखें होती हैं, वैसे गाड़ी में कैमरा लगे होते हैं, वो सब देखते हैं।
- जैसे हमारे कान होते हैं, वैसे गाड़ी में सेंसर लगे होते हैं, वो सब सुनते हैं, आस-पास क्या हो रहा है।
अब ये जो ADAS है न बेटा, इसमें भी कई तरह के सिस्टम होते हैं। एक होता है लेवल 1, मतलब थोड़ा-थोड़ा काम खुद करेगा, जैसे गाड़ी खुद ही अपनी स्पीड कम-ज़्यादा कर लेगी, या फिर लाइन से बाहर जाने लगेगी तो बताने लगेगी, पर चलाना तो ड्राइवर को ही पड़ेगा।
फिर आता है लेवल 2, इसमें गाड़ी थोड़ा और ज़्यादा काम खुद कर लेती है, जैसे खुद ही लेन बदल लेना, खुद ही ब्रेक लगा लेना, पर फिर भी ड्राइवर को ध्यान तो रखना ही पड़ता है, बेटा। ये नहीं कि गाड़ी खुद चल रही है तो सो जाओ! नहीं, ऐसा नहीं करना।
अब सबसे बढ़िया है लेवल 5, इसमें तो गाड़ी पूरा खुद ही चलती है, जैसे कोई असली ड्राइवर बैठा हो अंदर। बस तुम गाड़ी में बैठो, और बता दो कहाँ जाना है, बाकी सब गाड़ी खुद कर लेगी। तुम्हें कुछ नहीं करना, बस आराम से बैठो।
पहले तो ये सब बड़े लोगों के पास होता था, बेटा। जो अमीर लोग होते थे न, बस उन्हीं की गाड़ियों में होता था ये सब। पर अब तो धीरे-धीरे सबकी गाड़ियों में आने लगा है। ये अच्छी बात है, बेटा, सबके लिए अच्छा है।
पर एक बात और है बेटा, ये जो बिना ड्राइवर वाली गाड़ी है न, इसमें खतरा भी है। कभी-कभी ये सिस्टम गड़बड़ भी हो जाता है। तो गाड़ी चलाते समय ध्यान तो रखना ही पड़ता है, बेटा। ये नहीं कि सब कुछ गाड़ी पर छोड़ दो।
और हाँ, ये जो आजकल नए कानून बन रहे हैं न, उनमें भी इन गाड़ी के बारे में लिखा है। अगर गाड़ी ने कोई एक्सीडेंट कर दिया, तो किसकी गलती होगी? गाड़ी की, या जो अंदर बैठा है उसकी? ये सब बातें भी सोचनी पड़ती हैं, बेटा।

पहले तो ड्राइवर की नौकरी बहुत निकलती थी, बेटा। सबको ड्राइवर चाहिए होता था, गाड़ी चलाने के लिए। अब पता नहीं, आगे क्या होगा। ये बिना ड्राइवर वाली गाड़ी सब काम खुद कर लेगी, तो ड्राइवर का क्या होगा? ये भी सोचने वाली बात है।
पर चलो, जो भी है, ये तो वक़्त ही बताएगा। अभी तो हम देखते हैं, ये बिना ड्राइवर वाली गाड़ी कैसे चलती है। और क्या-क्या होता है। तुम भी सीखना बेटा, ये सब नई-नई चीज़ें। हमारे ज़माने में तो ये सब नहीं था, पर तुम्हारे ज़माने में तो सब कुछ होगा।
ये जो गाड़ियां हैं न, इनमें आजकल बहुत सारे मोड भी आते हैं। जैसे, एक मोड होता है, जिसमें गाड़ी धीरे-धीरे चलती है, आराम से। एक मोड होता है, जिसमें गाड़ी तेज़ भागती है, एकदम रॉकेट जैसी! और एक मोड होता है, जिसमें गाड़ी खुद ही सब कुछ करती है, जैसे मैंने बताया न, बिना ड्राइवर वाली गाड़ी।
और हाँ, एक बात और याद रखना बेटा, ये जो बिना ड्राइवर वाली गाड़ी है, ये अभी पूरी तरह से आई नहीं है। मतलब, अभी भी इसमें बहुत काम होना बाकी है। अभी तो बस शुरुआत है, बेटा, अभी तो बहुत कुछ देखना है।
अच्छा बेटा, अब बहुत बातें हो गयीं। तुम भी जाओ, खेलो-कूदो, और हाँ, गाड़ी ध्यान से चलाना, चाहे वो बिना ड्राइवर वाली हो या ड्राइवर वाली। ठीक है?
ये जो ऑटो रिक्शा होता है न बेटा, उसमें सवारी तो आगे बैठती है, और जो चलाता है वो पीछे। और ये जो बिना ड्राइवर वाली गाड़ी है, इसमें तो कोई चलाता ही नहीं, सब गाड़ी खुद ही करती है। बड़ा अंतर है बेटा, बड़ा अंतर।
