अरे, आज मैं तुमसे बात करने आयी हूँ एक ऐसी चीज़ के बारे में जो मेरे दिमाग में घूम रही है। इसे कहते हैं “strange crossword”। अब ये क्या बला है, मुझे भी ठीक से नहीं पता। पर गाँव में आजकल सब इसी की बातें करते हैं, तो मैंने सोचा चलो इसके बारे में थोड़ा जान लिया जाये।
पहले तो ये समझो कि ये crossword क्या है। सुना है ये एक तरह का खेल है, जिसमें कुछ डिब्बे बने होते हैं। ऊपर से नीचे, दायें से बायें, कुछ शब्द भरने होते हैं। अब ये शब्द कहाँ से आयेंगे? अरे, उसके लिए कुछ सवाल होते हैं, कुछ इशारे होते हैं। उन्हीं को समझ कर शब्द खोजने होते हैं।
अब ये “strange” क्यों है? ये तो मुझे भी नहीं पता। शायद इसमें कुछ अजीब से सवाल होते होंगे। या फिर कुछ ऐसे शब्द भरने होते होंगे जो हमने कभी सुने ही न हों। गाँव के कुछ लोग कहते हैं कि इसमें भूतों और चुड़ैलों के बारे में भी कुछ होता है। अब ये तो खेलने पर ही पता चलेगा।

- कुछ लोग कहते हैं कि इसे खेलने से दिमाग तेज़ होता है।
- कुछ कहते हैं कि इससे नए शब्द सीखने को मिलते हैं।
- और कुछ तो ये भी कहते हैं कि इसे खेलने से समय अच्छा कटता है।
अब ये सब बातें कितनी सच हैं, कितनी झूठ, ये तो मुझे नहीं पता। पर इतना ज़रूर है कि इस “strange crossword” ने पूरे गाँव में धूम मचा रखी है। बूढ़े, जवान, बच्चे, सब इसी की बातें करते हैं।
मैंने सुना है कि आजकल ये पहेलियाँ अख़बारों में भी आती हैं। और कुछ किताबें भी मिलती हैं जिनमें ऐसी बहुत सारी पहेलियाँ होती हैं। अब अख़बार तो हमारे यहाँ आता नहीं, और किताबें पढ़ने का मुझे ज़्यादा शौक नहीं। तो मैंने सोचा कि क्यों न गाँव के लोगों से ही पूछ लिया जाये।
एक दिन मैं चौपाल पर बैठी थी। वहाँ कुछ लोग बातें कर रहे थे। मैंने उनसे पूछा, “अरे भाई, ये strange crossword क्या होता है?” एक आदमी बोला, “अरे, ये तो बहुत आसान है। बस थोड़ा दिमाग लगाना पड़ता है।”
मैंने कहा, “मुझे भी बताओ न कैसे खेलते हैं।” फिर उसने मुझे समझाया कि कैसे सवालों के जवाब ढूंढने हैं और कैसे उन्हें डिब्बों में भरना है। उसने मुझे एक पहेली भी बताई। उसने कहा, “कमर बांधे घर में रहता।” अब बताओ इसका क्या मतलब है?
मैंने बहुत सोचा, पर मुझे कुछ समझ नहीं आया। फिर उसने बताया कि इसका जवाब है “झाड़ू”। अरे, ये तो सच में बहुत मज़ेदार है। अब मुझे भी इस खेल में दिलचस्पी आने लगी है।
मैंने सोचा कि मैं भी ये खेल खेलूँगी। पर मेरे पास न तो अख़बार है और न ही किताबें। फिर मैंने सोचा कि क्यों न मैं खुद ही कुछ पहेलियाँ बनाऊँ। मैं दिन भर सोचती रहती हूँ और कुछ न कुछ बनाती रहती हूँ।

जैसे एक पहेली मैंने बनाई, “हरी थी मन भरी थी, लाख मोती जड़ी थी, राजा जी के बाग में दुशाला ओढ़े खड़ी थी”। अब बताओ इसका क्या जवाब है? अरे, ये तो भुट्टा है। मक्के का भुट्टा। है न मज़ेदार?
ऐसे ही मैं और भी बहुत सारी पहेलियाँ (paheliyan) बनाती रहती हूँ। और फिर गाँव के लोगों को सुनाती हूँ। सब लोग बहुत खुश होते हैं और मेरे साथ मिलकर उन पहेलियों के जवाब ढूंढते हैं।
अब तो मुझे भी ये “strange crossword” बहुत अच्छा लगने लगा है। ये सच में बहुत मज़ेदार खेल है। इससे न सिर्फ समय अच्छा कटता है, बल्कि दिमाग भी तेज़ होता है। और नए शब्द भी सीखने को मिलते हैं।
तो अगर तुम भी कभी बोर हो रहे हो, तो ये खेल ज़रूर खेलना। तुम्हें भी बहुत मज़ा आएगा। और हाँ, अगर तुम्हें कोई अच्छी सी पहेली पता हो, तो मुझे भी बताना। हम सब मिलकर उसके जवाब ढूंढेंगे।
अच्छा, अब मैं चलती हूँ। फिर मिलेंगे किसी नई कहानी के साथ। तब तक के लिए राम राम!