वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2017: म्हारे गांव की कहानी
अरे हाँ, सुणो सुणो! म्हारी तो आँखें खुली की खुली रह गई जब म्हारे छोरे ने बताया कि 2017 में वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप हुई थी। म्हारा तो दिमाग घूम गया, ये बॉक्सिंग वोक्सिंग क्या होता है? फिर म्हारे छोरे ने समझाया कि जैसे गाँव में कुश्ती लड़ते हैं ना, वैसे ही दुनिया भर के लोग मुक्के मार-मार के लड़ते हैं।
अब म्हारे को तो समझ में आया थोड़ा-थोड़ा। म्हारा छोरा बोल रहा था कि उस्ताद, इस चैंपियनशिप में तो भारत के भी छोरे-छोरियां गए थे। कोई बोल रहा था, निखत ज़रीन, अमित पंघाल, नीतू घनघस, स्वीटी बूरा, मनीष कौशिक, दीपक भोरिया, शशि चोपड़ा, जयंत गलिया, ये सब बड़े-बड़े नाम हैं। म्हारा तो दिमाग चकरा गया इतने नाम सुनके।

अब सुनो, म्हारा छोरा बता रहा था कि निखत ज़रीन तो छोरी है, पर ऐसी धाकड़ छोरी है कि सब मुक्केबाजों की छुट्टी कर दी। सुना है चार-चार गोल्ड मेडल जीत के आई है। म्हारी तो छाती चौड़ी हो गई सुनके। और हाँ, वो नीतू घनघस भी कम नहीं है। उसने भी गोल्ड मेडल जीता है। वो मंगोलिया की लुस्तसाईखान को हरा के आई है। म्हारा तो दिल खुश हो गया।
- निखत ज़रीन ने जीते चार गोल्ड मेडल।
- नीतू घनघस ने भी जीता गोल्ड मेडल।
- अमित पंघाल पहुँचा फाइनल में, पर हार गया।
- मनीष कौशिक सेमीफाइनल में हारा, पर कांस्य जीता।
- दीपक भोरिया ने क्वार्टर फाइनल में अजरबैजान के बॉक्सर को हराया।
अब सुनो, म्हारे छोरे ने बताया कि अमित पंघाल भी गया था। वो छोरा 52 किलो वर्ग में लड़ता है। फाइनल तक तो पहुँच गया, पर वो उज़्बेकिस्तान के शाखोबिदिन जोइरोव से हार गया। म्हारा तो दिल टूट गया थोड़ा सा। पर फिर भी म्हारे छोरे ने बताया कि अमित पंघाल ने बड़ी मेहनत की थी।
और हाँ, एक और छोरा था, मनीष कौशिक। वो सेमीफाइनल में हार गया, पर कांस्य पदक जीत गया। म्हारा तो सीना गर्व से फूल गया। म्हारा छोरा बता रहा था कि मनीष कौशिक ने तो इतिहास रच दिया।
और भी मुक्केबाज थे
म्हारा छोरा और भी बहुत सारे मुक्केबाजों के बारे में बता रहा था। कोई दीपक भोरिया था, उसने भी क्वार्टर फाइनल जीता। कोई शशि चोपड़ा, कोई जयंत गलिया, ये सब भी लड़े थे। म्हारा तो दिमाग घूम गया इतने सारे नाम सुनके। पर म्हारे छोरे ने बताया कि सबने बहुत अच्छा खेला।
म्हारा गाँव और बॉक्सिंग

अब सुनो, म्हारे गाँव में तो बॉक्सिंग वोक्सिंग का कोई चलन नहीं है। यहाँ तो सब कुश्ती लड़ते हैं। पर जबसे म्हारे छोरे ने बताया कि दुनिया भर में बॉक्सिंग होती है, और म्हारे देश के छोरे-छोरियां भी उसमें मेडल जीतते हैं, तो म्हारा भी मन करने लगा कि थोड़ा बॉक्सिंग सीख लूँ। पर अब तो म्हारी उम्र हो गई। अब तो बस यही दुआ करती हूँ कि म्हारे देश के छोरे-छोरियां और भी मेडल जीतें।
बॉक्सिंग सीखना जरुरी है का ?
अब म्हाने तो समझ में आ गया कि बॉक्सिंग भी एक ज़रूरी चीज़ है। इससे छोरे-छोरियां मजबूत बनते हैं। और देश का नाम भी रोशन होता है। तो अब म्हारी तो यही सलाह है कि सब अपने बच्चों को बॉक्सिंग सिखाओ। ताकि वो भी देश के लिए मेडल जीतें। और हाँ, निखत ज़रीन और नीतू घनघस जैसी धाकड़ छोरी बने।
वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप आगे भी होगी का ?
सुना है कि वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप तो हर साल होती है। म्हारा तो मन करता है कि हर साल देखूं कि म्हारे देश के छोरे-छोरियां कितने मेडल जीतते हैं। और हाँ, निखत ज़रीन और नीतू घनघस का खेल तो ज़रूर देखना चाहूंगी। वो दोनों तो कमाल की मुक्केबाज हैं। म्हारा तो दिल खुश हो जाता है उनको देखके।
वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप का नाम रोशन रहे !

अब सुनो, म्हारी तो यही दुआ है कि वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में म्हारे देश का नाम हमेशा रोशन रहे। और म्हारे छोरे-छोरियां और भी मेडल जीतें। और हाँ, निखत ज़रीन और नीतू घनघस जैसी धाकड़ छोरी हमेशा देश का नाम ऊँचा करती रहे। म्हारा तो दिल खुश हो जाएगा। जय हिंद।