अरे हाँ, सुना है के माउंट मार्टी यूनिवर्सिटी के फुटबॉल के बारे में पूछ रहे थे? सुना है कि बड़ा नाम है आजकल। फुटबॉल, हाँ हाँ वही जो टांग से गेंद को मारते हैं, हमारे छोरे भी खेलते हैं गाँव में, पर इतना बड़ा नहीं जितना सुना है कि वहां होता है।
अब ये डिवीजन 1 क्या होता है, ये तो मैं नहीं जानती। पर हाँ, इतना सुना है कि बड़े-बड़े कॉलेज और यूनिवर्सिटी में खेलते हैं। जैसे हमारे यहाँ मेला लगता है न, वैसे ही वहां भी बड़ा मेला लगता होगा फुटबॉल का। लोग आते होंगे, शोर मचाते होंगे, और छोरे दौड़ते होंगे गेंद के पीछे।
- सुना है कि बहुत पैसा लगता है इसमें।
- और हाँ, छोरे भी बड़े तगड़े होते हैं, एकदम पहलवान जैसे।
- और तो और, टीवी पर भी दिखाते हैं इनको।
अब ये यूनिवर्सिटी वाले भी न, बड़े होशियार हैं। छोरों को पढ़ाते भी हैं और खिलाते भी हैं। इससे क्या होता है? एक तो छोरे तगड़े हो जाते हैं, और दूसरा, यूनिवर्सिटी का नाम भी हो जाता है। सुना है कि विदेशों से भी छोरे आते हैं यहाँ खेलने। अमेरिका, इंग्लैंड, पता नहीं कहाँ-कहाँ से। अब ये सब तो मैं नहीं जानती, पर इतना पता है कि बड़ा नाम है इस यूनिवर्सिटी का।

अब ये जो कॉलेज फुटबॉल है न, ये कोई छोटा-मोटा खेल नहीं है। बड़े-बड़े स्टेडियम होते हैं, हज़ारों लोग देखने आते हैं। और हाँ, इन खिलाड़ियों को तो लोग भगवान की तरह पूजते हैं। जैसे हमारे यहाँ गाँव में कबड्डी वाले को पूजते हैं न, वैसे ही।
माउंट मार्टी यूनिवर्सिटी, हाँ, सुना है कि ये बहुत पुरानी यूनिवर्सिटी है। और यहाँ के फुटबॉल टीम भी बहुत पुरानी है। बहुत सारे मैच जीते हैं इन्होंने। और तो और, सुना है कि यहाँ से खेलकर बहुत सारे छोरे बड़े-बड़े क्लब में भी खेलने गए हैं।
अब ये बैलोन डी’ओर क्या होता है, ये तो मैं नहीं जानती। पर सुना है कि ये फुटबॉल का सबसे बड़ा अवार्ड होता है। जैसे हमारे यहाँ गाँव में सरपंच अवार्ड देते हैं न, वैसे ही। पर ये बड़ा अवार्ड होता है, पूरी दुनिया में मानते हैं इसको। अब ये माउंट मार्टी यूनिवर्सिटी के खिलाड़ियों को मिला है कि नहीं, ये तो मैं नहीं जानती। पर सुना है कि यहाँ के खिलाड़ी बहुत अच्छा खेलते हैं।
और हाँ, ये जो स्टेडियम होते हैं न, ये भी बहुत बड़े-बड़े होते हैं। हमारे गाँव के मैदान से तो दस गुना बड़े होंगे। और तो और, इनमें लाखों लोग बैठ सकते हैं। अब इतने सारे लोग इकट्ठे होकर जब शोर मचाते होंगे, तो कैसा लगता होगा? ये तो मैं सोच भी नहीं सकती।
अमेरिका में तो ये कॉलेज फुटबॉल बहुत मशहूर है। सुना है कि हर कॉलेज की अपनी टीम होती है। और ये टीमें आपस में खेलती हैं। और जो जीतता है, उसे बड़ा इनाम मिलता है। अब ये इनाम क्या होता है, ये तो मैं नहीं जानती। पर सुना है कि बहुत पैसा मिलता है।
माउंट मार्टी यूनिवर्सिटी का फुटबॉल टीम भी ऐसा ही कुछ होगा। बड़ा टीम, बड़ा नाम और खूब सारा पैसा। सुना है वहां के लड़के बहुत मेहनत करते हैं, दिन रात पसीना बहाते हैं तब जाके इतने बड़े खिलाड़ी बनते हैं। हमारे गाँव के लड़के भी खूब खेलते हैं पर उनके पास वो सुविधाएँ नहीं हैं जो इन बड़े विश्वविद्यालयों के लड़कों के पास होती हैं। फिर भी हमारे लड़के भी कम नहीं हैं, खूब दम ख़म दिखाते हैं।

दुनिया भर के लोग इस खेल को देखते हैं। हमारे गाँव में तो टीवी भी मुश्किल से चलता है, पर सुना है कि शहर में लोग बड़े-बड़े टीवी पर ये मैच देखते हैं। और हाँ, आजकल तो मोबाइल पर भी देख सकते हैं। ये दुनिया भी अजीब है, पहले चिट्ठी भेजने में महीनों लगते थे, अब एक बटन दबाओ और बात हो जाती है, मैच देख लो।
मैंने तो सुना है कि इन यूनिवर्सिटीज में एडमिशन लेने के लिए भी लड़कों को फुटबॉल खेलना आना चाहिए। अगर कोई अच्छा खिलाड़ी है तो उसे आसानी से एडमिशन मिल जाता है। और हाँ, स्कॉलरशिप भी मिलती है, जिससे उसकी पढ़ाई का खर्चा भी निकल जाता है और खेलने का भी मौका मिल जाता है। ये तो बहुत अच्छी बात है।
तो हाँ, माउंट मार्टी यूनिवर्सिटी का फुटबॉल टीम बड़ा नाम है। अगर कभी मौका मिला तो मैं भी देखना चाहूंगी कि ये कैसे खेलते हैं। सुना है कि बहुत मज़ा आता है। और हाँ, अगर हमारे गाँव का कोई लड़का वहां तक पहुँच गया तो मुझे बहुत खुशी होगी।