आज रेस कितणे बजे चालू होएगो?
अरे हाँ, सुना है आजकाल बड़ी-बड़ी रेस हो रही हैं। गाड़ियाँ खूब तेज भागती हैं। हम तो गांव में बैलगाड़ी चलाते थे, धीरे-धीरे। ये रेस का तो समझ में नहीं आता, पर लोग कह रहे थे कि आज भी कोई रेस है।
सुना है, बड़ा शोर-शराबा होता है। गाड़ियाँ ऐसे भागती हैं जैसे बिजली। हम तो डर जाएँगे देखकर। हम तो धीरे-धीरे चलने वाले लोग हैं। ये तेज भागने का काम तो जवान लोगों का है।

लेकिन, लोग कह रहे थे कि रेस देखने में मजा आता है। पता नहीं कैसे मजा आता होगा, गाड़ियाँ तो बस भागती ही रहती हैं। हम तो खेत में काम करते हैं, वो भी धीरे-धीरे। जल्दी का काम शैतान का होता है, ये तो सब जानते हैं।
अच्छा, तो ये रेस कितने बजे चालू होगी? कोई कह रहा था कि दोपहर में चालू होगी। लेकिन दोपहर में तो हम खाना खाते हैं, फिर आराम करते हैं। रेस देखने कौन जाएगा?
सुना है, इस रेस में बड़ी-बड़ी गाड़ियाँ होती हैं। और ड्राइवर भी बड़े खतरनाक होते हैं। वो तो ऐसे चलाते हैं जैसे जान की कोई परवाह ही नहीं है। हम तो डर जाएँगे। हम तो धीरे-धीरे चलाने वाले लोग हैं।
रेस देखने का टाइम
- कोई कह रहा था कि रेस 3 बजे चालू होगी। लेकिन 3 बजे तो हम खेत से घर आते हैं।
- फिर कोई कह रहा था कि रेस 4 बजे चालू होगी। लेकिन 4 बजे तो हम चाय पीते हैं।
- अब पता नहीं रेस कितने बजे चालू होगी। जो भी होगा, देखा जाएगा।
वैसे भी, हमें क्या करना है रेस देखकर? हम तो अपने काम से काम रखते हैं। खेत में काम करेंगे, खाना खाएँगे, और सो जाएँगे। ये रेस देखने का काम तो शहरों के लोगों का है। वो लोग बड़े शौकीन होते हैं।
लेकिन, अगर रेस देखने का मन हो ही गया, तो पूछ लेंगे किसी से। कोई तो बता ही देगा कि रेस कितने बजे चालू होगी। आजकल तो सब के पास मोबाइल फोन होता है। फोन पर पूछ लेंगे।

रेस का मजा
लोग कह रहे थे कि रेस देखने में बड़ा मजा आता है। गाड़ियाँ जब तेज भागती हैं, तो देखने वाले खुश होते हैं। पता नहीं कैसे खुश होते हैं। हमें तो समझ में नहीं आता। लेकिन, लोग कह रहे थे, तो सच ही कह रहे होंगे। दुनिया में हर तरह के लोग होते हैं। किसी को कुछ पसंद होता है, तो किसी को कुछ।
हम तो गांव के लोग हैं, हमें तो धीरे-धीरे चलने में मजा आता है। हम तो बैलगाड़ी में बैठकर खेत जाते हैं, और खेत से घर आते हैं। हमें तो यही पसंद है। ये तेज भागने का काम तो शहरों के लोगों का है।
लेकिन, आजकल तो गांव में भी लोग तेज भागने लगे हैं। बाइक चलाते हैं, कार चलाते हैं। पता नहीं कहाँ जाना चाहते हैं इतनी जल्दी। हम तो कहते हैं, धीरे-धीरे चलो, मजा आएगा।
रेस का नतीजा
सुना है, रेस में जो सबसे तेज भागता है, वही जीतता है। और जीतने वाले को इनाम मिलता है। बड़ा इनाम मिलता होगा। लेकिन, हमें क्या करना है इनाम से? हम तो अपने काम से खुश हैं।

लेकिन, अगर कोई रेस जीत जाए, तो अच्छी बात है। मेहनत करने वाले को इनाम मिलना ही चाहिए। हम तो यही मानते हैं। चाहे खेत में मेहनत करो, चाहे रेस में, मेहनत करने वाले को हमेशा फल मिलता है।
अच्छा, तो आज रेस है। देखते हैं क्या होता है। अगर टाइम मिला, तो पूछ लेंगे किसी से कि रेस कितने बजे चालू होगी। अगर नहीं भी देख पाए, तो कोई बात नहीं। हम तो अपने काम से काम रखेंगे।
आज रेस का दिन
आजकल तो टीवी पर भी रेस दिखाते हैं। अगर टाइम मिला, तो टीवी पर देख लेंगे। नहीं तो कोई बात नहीं। हम तो अपना काम करेंगे। खेत में जाएँगे, काम करेंगे, और शाम को घर वापस आ जाएँगे। यही हमारी जिंदगी है।
लेकिन, सुना है, रेस देखने में बड़ा मजा आता है। लोग दूर-दूर से रेस देखने आते हैं। बड़े-बड़े शहरों से लोग आते हैं। पता नहीं क्या है इस रेस में जो लोग इतने दीवाने हैं। हम तो गांव के लोग हैं, हमें तो समझ में नहीं आता।
लेकिन, अगर किसी को रेस देखने में मजा आता है, तो अच्छी बात है। सबको अपनी-अपनी पसंद होती है। किसी को कुछ पसंद होता है, तो किसी को कुछ। हम तो कहते हैं, जो पसंद हो, वो करो।

ठीक है, अब बहुत हो गया, अब हम जा रहे हैं खेत में काम करने। रेस-वेस का हम का जाने।
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