आजकल के जवान छोरे-छोरी फिलिम के बड़े शौकीन हैं। हम तो बुढ़िया हो गए, समझ में नहीं आता का देखते हैं रात-दिन। लेकिन सुना है, आजकल बड़ा फिलिम का व्यापार चल रहा है। हाँ, हाँ, movie desire trade, यही तो कहते हैं न।
अब ई फिलिम का व्यापार का है, ई तो हम नहीं जानते, लेकिन इतना पता है कि जवान लोग खूब देखते हैं। हमरे गांव में तो पहले एक ही टीवी था, सब लोग एक साथ बैठ कर देखते थे। अब तो हर घर में टीवी है, और सबके हाथ में मोबाइल भी। सब अपनी-अपनी पसंद की फिलिम देखते हैं।
- पहले तो हम लोग रामायण-महाभारत देखते थे।
- कभी-कभी कोई नई फिलिम आ जाती थी तो सब गांव वाले मिलकर देखते थे।
- लेकिन आजकल तो इतनी सारी फिलिम आती हैं कि पता ही नहीं चलता कि कौन सी देखें।
सुना है कि आजकल फिलिम का व्यापार बहुत बढ़ गया है। लोग अपनी पसंद की फिलिम ढूंढते हैं, खरीदते हैं, देखते हैं। कुछ लोग तो फिलिमों का व्यापार भी करते हैं। मतलब, एक फिलिम देखी, फिर दूसरी को दे दी, इस तरह से।

हमको तो ये सब समझ में नहीं आता। हम तो बस इतना जानते हैं कि फिलिम मनोरंजन के लिए होती है। लेकिन आजकल के जवान छोरे-छोरी तो फिलिम से बहुत कुछ सीखते भी हैं। नई-नई बातें, नई-नई जगहें, नए-नए लोग।
सुना है कि आजकल फिलिमों में बहुत कुछ दिखाया जाता है। प्यार-मोहब्बत, लड़ाई-झगड़ा, हंसी-मजाक, सब कुछ। लेकिन हम तो कहते हैं कि फिलिम ऐसी होनी चाहिए जो सबको पसंद आए, जिससे कुछ सीखने को मिले।
अब ये movie desire trade क्या है, ये तो हम नहीं जानते। लेकिन इतना समझ में आता है कि ये फिलिम से जुड़ा हुआ कुछ है। लोग अपनी पसंद की फिलिम ढूंढते हैं, खरीदते हैं, देखते हैं, यही सब तो होता होगा।
आजकल तो फिलिम देखना बहुत आसान हो गया है। पहले तो सिनेमाघर जाना पड़ता था, टिकट खरीदनी पड़ती थी, तब जाकर फिलिम देख पाते थे। लेकिन अब तो घर बैठे ही मोबाइल पर, टीवी पर, कहीं भी फिलिम देख सकते हैं।
सुना है कि आजकल फिलिमों की क्वालिटी भी बहुत अच्छी हो गई है। पहले तो ब्लैक एंड व्हाइट फिलिम आती थी, फिर रंगीन आने लगी, और अब तो 3D फिलिम भी आती है। मतलब, एकदम असली जैसा लगता है सब कुछ।
लेकिन हम तो कहते हैं कि फिलिम चाहे जैसी भी हो, अच्छी होनी चाहिए। जिससे मनोरंजन हो, कुछ सीखने को मिले, और सब लोग खुश रहें। यही तो फिलिम का मकसद होना चाहिए।

तो ये जो movie desire trade है, ये भी अच्छी बात है। लोग अपनी पसंद की फिलिम ढूंढते हैं, देखते हैं, और खुश होते हैं। इसमें क्या बुराई है।
हम तो बस इतना जानते हैं कि फिलिम मनोरंजन के लिए होती है। और आजकल तो मनोरंजन के बहुत सारे साधन हो गए हैं। मोबाइल, टीवी, इंटरनेट, सब कुछ तो है।
लेकिन फिलिम का अपना एक अलग ही मजा है। जब सब लोग एक साथ बैठकर फिलिम देखते हैं, तो बड़ा अच्छा लगता है। और आजकल तो फिलिमों में इतनी अच्छी-अच्छी कहानियां होती हैं कि मन खुश हो जाता है।
तो ये जो movie desire trade है, ये भी चलता रहे। लोग अपनी पसंद की फिलिम देखते रहें, खुश रहें, और मजे करते रहें। हम तो बस यही चाहते हैं कि सब लोग खुश रहें।