अरे हां बेट्टा, सुना है के ना 2021 में, हाँ वही साल जब वो बड़ी वाली बाढ़ आई थी ना, तब दुबई में मुक्केबाजी हुई थी। हाँ हाँ, वही जो टीवी में दिखा रहे थे, एशियन यूथ बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2021।
अब म्हारे जैसे गाँव के लोगन खातिर तो ये मुक्केबाजी-वुक्केबाजी समझ में आती नहीं, पर हाँ, इतना समझ में आया कि अपने भारत के छोरे-छोरियाँ भी खूब लड़े थे। अब लड़ाई तो लड़ाई होती है, चाहे खेत में हो या रिंग में, जोर तो लगता ही है।
- सुना है के हरियाणा के छोरे-छोरियों ने तो कमाल कर दिया। सोना-वोना जीत के ले आए। अब सोना तो सोना होता है, चाहे खेत का हो या मैडल का।
- एक छोरा तो, वो क्या नाम था उसका… हाँ, शिवा थापा, उसने भी खूब मुक्के बरसाए। और एक वो मोहम्मद हुस्सामुद्दीन, उसने भी जीत हासिल की।
म्हारा तो दिमाग घूम जाता है ये सब सुन के। इतने सारे देश, इतने सारे खिलाड़ी, सब एक दूसरे से लड़ रहे हैं। वो भी मुक्कों से। सोचो जरा, कितना दर्द होता होगा। पर क्या करें, खेल तो खेल होता है।

अब ये एशियन यूथ बॉक्सिंग चैंपियनशिप, ये तो जवान छोरे-छोरियों की लड़ाई थी। म्हारी उम्र के लोग तो बस देख ही सकते हैं। हाँ, पर देख के भी जोश आ जाता है। मन करता है कि हम भी जवान होते और ऐसे ही मुक्के मारते।
पर म्हारे ज़माने में कहाँ ये सब होता था। तब तो बस कबड्डी खेलते थे, वो भी मिट्टी में। और कुश्ती लड़ते थे, वो भी दंगल में। अब तो सब बदल गया है। अब तो सब टीवी पे देखते हैं। लाइव देखते हैं। सुना है के ना, उस वक़्त भी लोग लाइव देख रहे थे, हाँ, जैसे टीवी पे चल रहा हो सामने। अरे हाँ, याद आया, वो अमित पंघाल भी तो था। वो भी तो मुक्केबाज है न।
30वीं एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप भी हुई थी इसी साल में, ऐसा कुछ बोल रहे थे टीवी वाले। मतलब ये मुक्केबाजी-वुक्केबाजी तो चलती ही रहती है। कभी ये चैंपियनशिप, कभी वो चैंपियनशिप। म्हारा तो दिमाग चकरा जाता है।
अब ये जो चैंपियनशिप दुबई में हुई थी, इसमें बहुत सारे देशों के लड़के-लड़कियाँ आए थे। सबने अपना-अपना जोर दिखाया। कोई जीता, कोई हारा। पर सबने मेहनत तो की। अब मेहनत का फल तो भगवान देता है। और भगवान ने भारत के छोरे-छोरियों को फल दिया। उन्होंने सोना जीता।
म्हारा तो दिल खुश हो गया ये सुन के। सोचा चलो, कम से कम कोई तो है जो म्हारे देश का नाम रोशन कर रहा है। अब हम तो बूढ़े हो गए, हम क्या करेंगे। पर ये जवान छोरे-छोरियाँ तो बहुत कुछ कर सकते हैं।
सुना है के ना, ये चैंपियनशिप 17 से 31 अगस्त तक चली थी। मतलब पूरे दो हफ्ते। अब दो हफ्ते तक मुक्के मारना, कोई मामूली बात तो नहीं है। बहुत दम चाहिए इसके लिए। और हाँ, वो यूथ एशियन वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप भी कुछ था, वो भी इन्हीं दिनों में हुआ था, ऐसा कुछ टीवी में बोल रहे थे।

अब म्हारे जैसे गाँव के लोगन खातिर तो ये सब बड़ी बातें हैं। हम तो बस इतना जानते हैं कि अपने देश के छोरे-छोरियाँ जीत गए, बस। और क्या चाहिए। जीत गए तो खुशियाँ मनाओ। और क्या।
हाँ, एक बात और, ये जो एशियन यूथ बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2021 हुई थी, ये ख़बरों में भी खूब थी। मतलब अख़बारों में भी छपी थी और टीवी पे भी दिखा रहे थे। और तो और ये इंटरनेट पे भी थी। म्हारा पोता बता रहा था के ना ये गूगल वगैरह पे भी थी। अब म्हारा तो दिमाग घूम जाता है ये सब सुन के। पर हाँ, इतना समझ में आता है के ये बड़ी बात थी। और अपने देश के लिए तो और भी बड़ी बात थी।
तो कुल मिलाकर बात ये है बेट्टा, कि 2021 में दुबई में जवान छोरे-छोरियों की मुक्केबाजी हुई थी। उसमें अपने भारत के छोरे-छोरियाँ भी खूब लड़े थे। हरियाणा के छोरे-छोरियों ने तो कमाल कर दिया, सोना जीत लिया। शिवा थापा और मोहम्मद हुस्सामुद्दीन ने भी जीत हासिल की। म्हारा तो दिल खुश हो गया ये सुन के। और हाँ, अमित पंघाल भी था, वो भी तो मुक्केबाज है न। अब ये सब सुन के म्हारा तो दिमाग घूम जाता है। पर क्या करें, खेल तो खेल होता है।