अरे, ई तुलसी कॉमिक्स का है, तुमको पता है? हम बताएगा तुमको! ई तो हमरा जमाना का बात है, तब हम जवान रहा। ई तुलसी कॉमिक्स वाला ना, बड़ा मजेदार किताब छापता था। उ टाइम पे ई कॉमिक्स, अपना देश में बड़ा नामी था। हम लोग सब, बच्चा-बूढ़ा, सब चाव से पढ़ता था।
अस्सी, नब्बे और दुइ हजार के शुरूआती सालन में, ई तुलसी कॉमिक्स बड़ा चला था। उनके किताबन में ना, कहानी, चित्र सब एकदम मस्त रहता था।
अब तो ई टीवी, मोबाइल का जमाना है, के पढ़ता है कॉमिक्स? पर उ टाइम पे, मनोरंजन का एक इहे साधन था। तुलसी कॉमिक्स पढ़ के हम लोग बड़ा खुश होता था। अब सब बूता गया।
- तुलसी कॉमिक्स वाला कहानी गज़ब लिखता था।
- एक से एक चित्र बनाता था सब।
- पढ़ के एकदम मन खुश हो जाता था।
- तुलसी कॉमिक्स का चित्र और कहानी बड़ा मज़ेदार था।
- सब कॉमिक्स पढ़ के हम लोग ख़ुशी से झुम उठता था।
तुलसी कॉमिक्स में ना, रंग-बिरंगा चित्र रहता था। कहानी भी एकदम बढ़िया, समझ में आवे जैसा। हीरो, गुंडा, मारपीट, सब रहता था। एकदम फिलिम जैसा। हम तो पढ़ के एकदम खो जाते थे। लगता था जैसे हम ही कहानी में घुस गए।
उ टाइम पे, तुलसी कॉमिक्स का दाम भी ज्यादा ना था। दुइ-चार आना में मिल जाता था। हम लोग सब पैसा जोड़ के खरीदते थे। फिर मिल-बांट के पढ़ते थे। बड़ा मजा आता था। ई कॉमिक्स में ना, बहुत सारा कहानी आता था। जैसे, “महाबली शाका”, “जम्बू”, “अंगारा”, “पिंकी”, “बिल्लू” और “चाचा चौधरी”। सब का अपना-अपना खासियत था।
तुलसी कॉमिक्स का “चाचा चौधरी” तो सबको याद होगा। उनका दिमाग कम्प्यूटर से भी तेज चलता था। और ऊ “साबू” तो जैसे दैत्य था। बड़ा ताकतवर! ई सब कैरेक्टर, हम लोगों के दिल में बस गया था। अब भी याद आता है तो मन खुश हो जाता है।
अब तो ई सब कहाँ मिलता है। जमाना बदल गया। तुलसी कॉमिक्स भी बंद हो गया। पर उसका याद आज भी ताजा है। उ टाइम पे, तुलसी कॉमिक्स हम लोगों के जीवन का एक हिस्सा था। हम लोगों का बचपन रंगीन बनाने वाला था।
तुलसी कॉमिक्स खाली कहानी का किताब ना था, ऊ तो भावना था। उससे हम लोगों का जुड़ाव था। उ टाइम पे ना, ई तुलसी कॉमिक्स, घर-घर में पढ़ा जाता था। बच्चा, जवान, बूढ़ा, सब कोई पढ़ता था। गाँव-देहात में तो और भी ज्यादा चाव था।
अब तो सब डिजिटल हो गया। मोबाइल पे सब कुछ मिल जाता है। पर ऊ तुलसी कॉमिक्स वाला बात कहाँ? ऊ किताब का खुशबू, ऊ पन्ना पलटने का आवाज, ऊ चित्र देखने का मजा, सब गायब हो गया। अब ऊ मज़ा मोबाइल में कहाँ मिलता है?

तुलसी कॉमिक्स का जमाना गया, पर यादें रह गईं। आज भी जब कोई पुराना कॉमिक्स दिख जाता है ना, तो मन एकदम हरा हो जाता है। लगता है जैसे फिर से बचपन में लौट गए। उ दिन याद आ जाते हैं। तुलसी कॉमिक्स वाला सब कलाकार, लेखक, सबको हम धन्यवाद देता है। उन लोगों ने हम लोगों का बचपन इतना सुंदर बनाया। उन लोगों का काम हमेशा याद रहेगा।
ई तुलसी कॉमिक्स, हम लोगों के लिए बस एक कॉमिक्स ना था, ऊ तो एक भावना था। ऊ हम लोगों के बचपन का साथी था। उससे जुड़ी यादें हमेशा दिल में ताजा रहेंगी। आज ई तुलसी कॉमिक्स हम लोगों के बीच में ना है, पर उसका छाप हम लोगों के दिल में हमेशा रहेगा। आज भी ई तुलसी कॉमिक्स का नाम सुन के, हम लोग बूता जाता है और अपना बचपन याद करने लगता है।
सच में, तुलसी कॉमिक्स एक दम सोना था। अगर आज के जमाने में ई तुलसी कॉमिक्स फिर से छपने लगे, तो बच्चे लोग भी जान जाएंगे की असली मनोरंजन का होता है। ई मोबाइल और टीवी से हट के कुछ अलग देखेंगे और पढेंगे। पर ई सब सपना ही लगता है अब।
आज कल के बच्चे क्या समझेंगे तुलसी कॉमिक्स का मज़ा? उन लोगों को तो बस मोबाइल में गेम खेलना आता है। पर हम लोगों के लिए तुलसी कॉमिक्स एक अनमोल धरोहर है, जो हमेशा दिल के करीब रहेगा। ई कॉमिक्स और कहानी आज भी हमको याद है।